प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मन की बात में योग दिवस की याद दिलाई और स्वस्थ रहने के लिए योग को दिनचर्या में शामिल करने की अपील की। विशेषज्ञों के अनुसार, बदलते मौसम के साथ योगासन भी बदलने चाहिए। गर्मी में शीतली, शीतकारी और शवासन जैसे आसन शरीर को ठंडा और शांत रखते हैं।
मन की बात के 120वें एपिसोड में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशवासियों को योग दिवस की याद दिलाते हुए उलटी गिनती करने को कहा। पीएम मोदी ने अपील की कि स्वस्थ रहना है तो इसे शीघ्र अपनी दिनचर्या में शामिल कर लें। योग यानी कुछ ऐसी क्रियाएं जो शरीर और मन-मस्तिष्क को दुरुस्त रखती हैं। मौसम कोई भी हो, इसके आसन हमें स्वस्थ रखने में मददगार साबित होते हैं।
अब जबकि मौसम बदल रहा है, तो सवाल उठता है कि क्या जो आसन और प्राणायाम हम ठंड के मौसम में कर रहे थे, वही कंटिन्यू रखना चाहिए या फिर योग भी कहता है कि बदलते मौसम के साथ आचार-व्यवहार में बदलाव जरूरी है! जाने-माने योग गुरु शैलेंद्र ने आईएएनएस से बातचीत में बताया कि हां, बदलते मौसम के साथ योगासन भी बदलता है।
सवाल यही उठता है कि आखिर कौन से योग करें कि दिमाग और शरीर में शीतलता का संचार हो। योग गुरु बताते हैं कि मौसम के अनुसार आसन का चयन जरूरी होता है। ऐसे आसन जो गर्मी में आपके मन-मस्तिष्क और शरीर को ठंडा रखें। जैसे हमारे खान-पान में बदलाव जरूरी है, वैसे ही व्यायाम में भी। जैसे शीतली, शीतकारी जैसे योगासन शरीर को ठंडा और शांत रखने में प्रभावकारी होते हैं।
योगासन को लेकर रचे गए प्रमुख ग्रंथ योगसूत्र और योगभाष्य में आसन और प्राणायाम का जिक्र है। इसमें शीतली, शीतकारी, भ्रामरी और शवासन, अभ्यास में शामिल किए जाने का परामर्श दिया गया है। हालांकि इन आसनों को अपने दैनिक अभ्यास का हिस्सा बनाने से पहले कुशल योग गुरु की सलाह जरूर लेनी चाहिए।
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योग गुरु शैलेंद्र कहते हैं कि उम्र, मर्ज और जेंडर के हिसाब से कुछ खास एहतियात बरतनी चाहिए और बदलाव के अनुसार इन्हें शामिल करना चाहिए। खास ध्यान नियम का भी रखना चाहिए। जैसे बेहतर परिणामों के लिए सुबह का वक्त सबसे उपयुक्त होता है। आसन खाली पेट ही करना श्रेयस्कर है और अगर सुबह संभव न हो, तो अभ्यास से 3 घंटे पहले कुछ न खाएं या पेट खाली रखें।