कैलिफोर्निया में हुए प्रदर्शन सबसे ज्यादा हिंसक रहे हैं. पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच कई बार झड़प हुई है. प्रदर्शनकारियों ने सड़कों पर आगजनी की और कई जगहों पर तोड़फोड़ की. इसके चलते कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए पुलिस को आंसू गैस का इस्तेमाल करना पड़ा.
America News: अमेरिका से एक हैरान कर देने वाली खबर सामने आई है. यहां हाल ही में लागू की गई इमिग्रेशन नीति के खिलाफ बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन देखने को मिल रहा है. देश के कई बड़े शहरों में हजारों लोग सड़कों पर उतरकर अपनी नाराजगी जता रहे हैं. ये विरोध प्रदर्शन कभी-कभी हिंसक रूप भी ले लेते हैं, जिसके कारण पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच टकराव की घटनाएं बढ़ गई हैं. प्रदर्शनकारियों द्वारा वाहनों में आग लगाने की घटनाएं भी सामने आई हैं, जिससे स्थिति और भी गंभीर हो गई है.
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, कैलिफोर्निया में हुए प्रदर्शन सबसे ज्यादा हिंसक रहे हैं. पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच कई बार झड़प हुई है. प्रदर्शनकारियों ने सड़कों पर आगजनी की और कई जगहों पर तोड़फोड़ की. इसके चलते कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए पुलिस को आंसू गैस का इस्तेमाल करना पड़ा. इन घटनाओं के बाद ट्रंप प्रशासन ने कैलिफोर्निया में सुरक्षा बढ़ाने के लिए 2000 नेशनल गार्ड जवानों की तैनाती की है. लॉस एंजेल्स में भी नेशनल गार्ड की तैनाती की गई है ताकि हिंसा पर नियंत्रण रखा जा सके.
राष्ट्रपति ट्रंप का गवर्नरों पर कड़ा रुख
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने विरोध प्रदर्शनों को कड़ी नज़र से देखा है और गवर्नरों को चेतावनी दी है कि वे इन दंगाइयों को तुरंत काबू में लाएं. ट्रंप ने इस स्थिति को गंभीर बताते हुए साफ किया है कि कानून और व्यवस्था बनाए रखना प्राथमिकता है और दंगाइयों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी. उन्होंने गवर्नरों से अपील की है कि वे अपनी-अपनी राज्यों में स्थिति को नियंत्रण में रखें और किसी भी तरह की हिंसा को बर्दाश्त न करें.
विरोध प्रदर्शन की मुख्य वजह
इन विरोध प्रदर्शनों की शुरुआत तब हुई जब लॉस एंजेल्स में संघीय इमिग्रेशन अधिकारीयों ने एक बड़े अभियान में 44 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया. इस छापेमारी में इमिग्रेशन और सीमा शुल्क प्रवर्तन (ICE) के अधिकारियों ने शहर के तीन अलग-अलग इलाकों में अभियान चलाया. इस कार्रवाई में डेविड ह्यूएर्टा जैसे प्रमुख यूनियन नेता भी हिरासत में लिए गए. गिरफ्तारियों के खिलाफ स्थानीय समुदाय और कार्यकर्ता सड़कों पर उतर आए और प्रदर्शन शुरू हो गया.
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प्रदर्शनकारियों की मांगें
प्रदर्शनकारियों का कहना है कि ये गिरफ्तारी और छापेमारी अवैध प्रवासियों और उनके परिवारों के खिलाफ अत्याचार की तरह हैं. वे सरकार से मांग कर रहे हैं कि वह इन कठोर नीतियों को वापस ले और प्रवासी समुदाय के अधिकारों का सम्मान करे.
दूसरी ओर, प्रशासन का कहना है कि देश की सुरक्षा और कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए ये कदम जरूरी हैं. उन्होंने प्रदर्शनकारियों से शांति बनाए रखने की अपील भी की है, लेकिन हिंसा बढ़ने के कारण अब स्थिति नियंत्रण से बाहर हो रही है.