क्या है कृषि आतंकवाद? जिसके आरोप में अमेरिका में दो चीनी नागरिकों को किया गया गिरफ्तार - Punjab Kesari
Girl in a jacket

क्या है कृषि आतंकवाद? जिसके आरोप में अमेरिका में दो चीनी नागरिकों को किया गया गिरफ्तार

अमेरिका में चीनी नागरिकों पर कृषि आतंकवाद का आरोप

अमेरिका में दो चीनी नागरिकों को कृषि आतंकवाद के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। उन पर एक खतरनाक जैविक फफूंद को अवैध रूप से अमेरिका में लाने का आरोप है, जो फसलों को गंभीर नुकसान पहुंचा सकती है। इस फफूंद से गेहूं, जौ, ओट्स और मक्के जैसी फसलों में ‘फ्यूजेरियम हेड ब्लाइट’ बीमारी फैलती है, जिससे अनाज जहरीला हो सकता है।

What is agricultural terrorism: अमेरिका में दो चीनी नागरिकों को गिरफ्तार किया गया है. जिनकी पहचान 33 वर्षीय यून्किंग जियान और 34 वर्षीय जुनयोंग लियू के रूप में हुई है. इन पर एक खतरनाक जैविक फफूंद को अवैध रूप से अमेरिका में लाने और झूठी जानकारी देने का आरोप है. अमेरिकी न्याय विभाग के अनुसार, यह फफूंद फसलों को गंभीर नुकसान पहुंचाने की क्षमता रखती है और इसे कृषि आतंकवाद का संभावित हथियार माना जा रहा है.

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, यह फफूंद मुख्य रूप से गेहूं, जौ, ओट्स और मक्के जैसी फसलों को संक्रमित करता है. इसके कारण फसलों में ‘फ्यूजेरियम हेड ब्लाइट’ (FHB) या ‘स्कैब’ नाम की बीमारी फैलती है. वहीं इससे न केवल फसल की गुणवत्ता और मात्रा घटती है, बल्कि यह डिऑक्सीनिवेलनॉल और जेरालेनोन जैसे जहर भी उत्पन्न करता है जो अनाज को जहरीला बना सकते हैं.

मानव और पशु स्वास्थ्य पर प्रभाव

इस रोगाणु से प्रभावित अनाज का सेवन करने से मनुष्यों और जानवरों में उल्टी, लिवर को नुकसान और प्रजनन संबंधी दिक्कतें हो सकती हैं. इसलिए इसे खाद्य सुरक्षा के लिए एक गंभीर खतरा माना जाता है.

कैसे पकड़े गए जियान और लियू?

अधिकारियों के अनुसार, लियू को डेट्रॉयट एयरपोर्ट पर रोका गया था. उसने शुरुआत में बताया कि वह अपनी गर्लफ्रेंड से मिलने आया है और जल्द वापस लौट जाएगा. जब उसके सामान की दोबारा जांच की गई, तो उसमें पौधों के टुकड़े, चीनी में लिखा नोट और संदिग्ध वस्तुएं पाई गईं. पूछताछ में उसने पहले अनभिज्ञता जताई, लेकिन बाद में स्वीकार किया कि वह जानबूझकर फफूंद के नमूने लाया था.

क्या है कृषि आतंकवाद?

कृषि आतंकवाद का अर्थ है ऐसे जैविक एजेंटों का उपयोग जो किसी देश की कृषि को नष्ट कर सकें. यह युद्ध का एक नया रूप है जहां दुश्मन देश की खाद्य सुरक्षा और अर्थव्यवस्था को निशाना बनाते हैं. यह हमले कम लागत वाले लेकिन अत्यधिक प्रभावशाली होते हैं और इनके पीछे का अपराधी आसानी से पकड़ा नहीं जाता.

द्वितीय विश्व युद्ध में जर्मनी ने ब्रिटेन की आलू फसलों को कोलोराडो बीटल से संक्रमित किया था. जापान ने भी जैविक हथियारों से अमेरिका और सोवियत रूस की फसलों को नुकसान पहुंचाने की योजना बनाई थी. अमेरिका ने भी “पुकिनिया ट्रिटिकी” नामक फफूंद को स्टॉक करके जैविक हमले की योजना बनाई थी.

सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल ने की मिस्र के विदेश मंत्री अब्देलती के साथ मुलाकात

भारत भी हो चुका है शिकार

भारत की अर्थव्यवस्था का बड़ा हिस्सा कृषि पर निर्भर है. लगभग 55% भारतीय जनसंख्या खेती से जुड़ी हुई है. भारत की सीमाएं पाकिस्तान और चीन जैसे देशों से मिलती हैं, जिससे कृषि आतंकवाद की संभावना और भी बढ़ जाती है.

2016 में बांग्लादेश से फैले एक खतरनाक फफूंद ‘मैग्नापोर्थे ओराइज़े पैथोटाइप ट्रिटिकम (MOT)’ के कारण पश्चिम बंगाल के दो जिलों में गेहूं की खेती पर रोक लगानी पड़ी थी.

इस रोक का मकसद इस फफूंद के प्रसार को रोकना था, लेकिन यह संदेह बना रहा कि यह एक जानबूझकर किया गया जैविक हमला था. सबसे चिंता की बात यह है कि कृषि आतंकवाद जैसे जैविक हमलों के लिए कोई सख्त अंतरराष्ट्रीय कानूनी ढांचा मौजूद नहीं है. इस वजह से ऐसे अपराधियों को सजा देना बेहद कठिन हो जाता है.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

4 × five =

Girl in a jacket
पंजाब केसरी एक हिंदी भाषा का समाचार पत्र है जो भारत में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली के कई केंद्रों से प्रकाशित होता है।