उत्तर प्रदेश के प्रयागराज से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जिसने एक बार फिर स्वास्थ्य विभाग पर सवाल खड़े कर दिये हैं। दरअसल, प्रयागराज के सरकारी अस्पताल में नसबंदी कराने के बाद एक महिला गर्भवती हो गई। इससे भी ज्यादा हैरान करने वाली बात ये है कि अब महिला इस मामले में हाईकोर्ट पहुंच गई है। उसने अस्पताल के सीएमओ से इस पर जवाब मांगा है और सरकार से बच्चे के पालन पोषण के लिए खर्चा देने की मांग की है। मामला प्रयागराज के शिवपुरा में रहने वाली शिव मोहन की पत्नी मंजू का है। मंजू के दो बेटे होने के बाद उसे विजय लक्ष्मी नाम की महिला ने सुझाव दिया कि उसे नसबंदी करा लेनी चाहिए। इसके बाद अपने परिवार की आर्थिक स्थिति को देखते हुए मंजू ने 20 नवंबर को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में नसबंदी करा ली, लेकिन उसे क्या पता था कि नसबंदी सही तरीके से नहीं होगी और वह फिर से गर्भवती हो जाएगी।
हाईकोर्ट में लगाई गुहार
इसी बीच 23 फरवरी 2024 को महिला ने एक बेटी को जन्म दिया। बेटी के जन्म के बाद दंपती पर तीन बच्चों के पालन-पोषण की जिम्मेदारी आ गई। आर्थिक तंगी से जूझ रही मां ने हाईकोर्ट में गुहार लगाई है। नसबंदी के बावजूद मां बनने के बाद महिला ने इलाहाबाद हाईकोर्ट से कहा, बेटी के पालन-पोषण का खर्च सरकार उठाए। दिहाड़ी मजदूरी कर तीन बच्चों का पालन-पोषण करना मेरे बस में नहीं है। इस पर जस्टिस अश्वनी कुमार मिश्रा और जस्टिस डी. रमेश की बेंच ने आदेश दिया कि सीएमओ प्रयागराज छह सप्ताह में जांच कर कार्रवाई करे।
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नहीं मिली प्रोत्साहन राशि
कोर्ट ने सीएमओ प्रयागराज को छह सप्ताह में मामले की जांच पूरी कर कार्रवाई करने का आदेश देते हुए याचिका का निपटारा कर दिया। कोर्ट में सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता ने बताया कि उसने राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत मिलने वाली प्रोत्साहन राशि का भी दावा किया था, लेकिन उसे नहीं मिली। अनचाहे गर्भ के लिए सरकारी डॉक्टर जिम्मेदार है। इसलिए सरकार को मुआवजा देने के साथ-साथ बच्ची के पालन-पोषण की जिम्मेदारी भी लेनी चाहिए।
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