मध्यप्रदेश सरकार ने बेरोजगारी का कॉलम हटाकर इसे ‘आकांक्षी युवा’ का नाम दे दिया है। 29 लाख से अधिक युवा इस श्रेणी में रजिस्टर्ड हैं। सरकार ने पिछले चार सालों में 2709 रोजगार मेले आयोजित किए, लेकिन कितने युवाओं को रोजगार मिला, इसका आंकड़ा उपलब्ध नहीं है।
मध्यप्रदेश से एक झटके में बेरोजगार गायब हो गए हैं यानी अब सरकारी रिकॉर्ड में कोई बेरोजगार नहीं है। ऐसा इसलिए क्योंकि राज्य सरकार ने बेरोजगारी का कॉलम हटा दिया है। बेरोजगारी का नाम बदलकर ‘आकांक्षी युवा’ कर दिया गया है। रोजगार पोर्टल पर सिर्फ आकांक्षा युवा ही रजिस्टर्ड हैं। कौशल विकास मंत्री गौतम टेटवाल ने हाल ही में संपन्न विधानसभा बजट सत्र में जवाब भी दिया कि रोजगार पोर्टल पर बेरोजगारों की संख्या रजिस्टर्ड नहीं है, बल्कि आकांक्षा युवा रजिस्टर्ड हैं।
प्रदेश में बेरोजगारों की रजिस्टर्ड संख्या 29 लाख से ज्यादा है। लाखों युवा बेरोजगार हैं। अगर सरकार यह मान रही है कि नाम बदलने से बेरोजगारों को अच्छा लगेगा तो यह सरकार की गंभीरता पर सवाल खड़े करता है। पिछले साल जुलाई में बेरोजगारों की संख्या 25 लाख थी, दिसंबर में यह संख्या बढ़कर 26 लाख हो गई। अब 29 लाख से ज्यादा ‘आकांक्षी युवा’ हैं। पोर्टल पर बेरोजगार और नौकरीपेशा दोनों युवाओं के नाम हैं। इन्हें आकांक्षा कैटेगरी में रखा गया है। अगर कोई युवा नौकरी में है और अभी भी नौकरी की उम्मीद रखता है तो उसे आकांक्षी कहा जाता है। – गौतम टेटवाल, कौशल विकास एवं रोजगार मंत्री
चार साल में लगे 2709 रोजगार मेले
मध्य प्रदेश में कितने लोगों को रोजगार मिला, इसका आंकड़ा सरकार के पास नहीं है, लेकिन यह जरूर है कि हर साल औसतन एक करोड़ रुपए रोजगार मेलों पर खर्च किए गए। सरकार रोजगार के बदले दिए गए ऑफर लेटर का रिकॉर्ड रखती है। ऑफर लेटर के बाद कितने लोग जुड़े, इसकी जानकारी सरकार के पास नहीं है। इसके अलावा सरकार यह भी पता नहीं लगाती कि रोजगार मेलों में शामिल हुए और ऑफर लेटर दिए गए युवाओं में से कितने जुड़े और कितने वहां काम कर रहे हैं। चार साल में कुल 2709 रोजगार मेले आयोजित किए गए। इन पर 465.84 लाख रुपए खर्च किए गए।
ढाई लाख युवाओं को रोजगार देने का वादा
पिछले साल युवाओं से वादा किया गया था कि एक साल में एक लाख सरकारी पदों पर नौकरी दी जाएगी। प्रक्रिया शुरू हुई लेकिन एक लाख पदों पर नौकरियां नहीं मिल पाईं। अब पांच साल में ढाई लाख नौकरियां देने का वादा किया गया है। अब युवाओं को उम्मीद है कि सरकारी विभागों में खाली पदों पर उन्हें नौकरी मिलेगी। सरकारी नौकरी पाने का उनका सपना पूरा होगा।
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