तुलसी एक आयुर्वेदिक औषधि है जिसे भारत में पवित्र माना जाता है। इसके पत्ते और बीज स्वास्थ्य के लिए अत्यंत लाभकारी होते हैं। तुलसी नज़ला, पाचन, बुखार, दिल की बीमारियों, पेट दर्द, मलेरिया और बैक्टीरियल संक्रमण में मददगार है। तुलसी के पौधे की पूजा भी की जाती है और इसे देवी का दर्जा प्राप्त है।
भारत के सभी घरों में तुलसी की पूजा की जाती है। भारत के ऋषियों ने भी तुलसी के कई सारे गुणों के बारे में बताया है। तुलसी को दैनिक जीवन में प्रयोग के लिए बहुत ही उच्च स्थान पर माना जाता है। तो आइए आज हम आपको इसके उपयोग और आयुर्वेदिक महत्व के बारे में बताते है।
क्या है तुलसी?
तुलसी एक ऐसा पौधा है जिसके अपने ही आयुर्वेदिक गुण है और उसमें काफी सारे विटामिन्स और ज़रूरी पदार्थ शामिल है। यह ज़रूरी पदार्थ हमारे शरीर को बहुत ही सारी बीमारियों से बचतें है। इस औषधिये पौधे को देवी कहा जाता है क्योंकि इससे ज़्यादा उपयोगी औषधि मनुष्यों के इतिहास में है ही नहीं। तुलसी में भी कई प्रकार की तुलसियां मिलती है जिसमें कृष्ण और श्वेत प्रमुख हैं। इन्हें राम तुलसी और कृष्ण तुलसी भी कहा जाता है। चरक और सुश्रुत संहिता में भी तुलसी के गुणों के बारे में बताया गया हैं। तुलसी के पौधों की उचाई लगभग 30 से 60 सेंटीमीटर तक होती है और उसपर छोटे-छोटे फूल उगते है ज्योकि सफ़ेद और हलके बैंगनी रंग के होते हैं।
तुलसी के विभिन्न उपयोग और फायदे
तुलसी का पौधा बहुत सारे गुणों से भरपूर होता है। उसके पत्तों को आप सीधा पौधें से तोड़कर खा सकते है। तुलसी के पत्तों की तरह उसके बीजों के भी बहुत फायदें होते है। आप तुलसी के बीज के और पत्तियों का चूर्ण बनाकर उसको भी प्रयोग कर सकते है। इसकी पत्तियों में नज़ले को खत्म करने और पाचन शक्ति को बढ़ाने की क्षमता होती है। इसके अलावा तुलसी के पत्ते का फैयदा बुखार, दिल के जुडी हुई बीमारियों, पेट दर्द, मलेरिया और बैक्टीरियल संक्रमण में बहुत फायदेमंद हैं।
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जानी जाती है अलग-अलग नामों से
तुलसी को अलग अलग इलाके में अलग नामों से जाना जाता है, जैसे तमिल में तुलशी, तेलुगु में गग्गेर चेट्टु, संस्कृत में तुलसी, सुरसा, हिंदी में तुलसी, मलयालम में कृष्णतुलसी और भी कई नामों से जानी जाती है।