बांग्लादेश में राजनीतिक अस्थिरता बढ़ रही है, यूनुस सरकार पर पाकिस्तान की राह अपनाने का आरोप है। सेना प्रमुख जनरल वकर-उज-जमां ने चुनाव की मांग की है और सेना की बढ़ती भूमिका पर असंतोष जताया है। जनता और छात्र भी सरकार के खिलाफ हैं, जिससे तख्तापलट की आशंका बढ़ गई है।
Bangladesh News: बांग्लादेश में मौजूदा हालात तेजी से अस्थिर हो रहे हैं. शेख हसीना सरकार के पतन के बाद सत्ता में आई यूनुस सरकार अब सेना और जनता दोनों के निशाने पर है. यूनुस सरकार पर आरोप है कि वह पाकिस्तान की राह पर चल रही है और भारत विरोधी रवैया अपना रही है.
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, चाहे बात पाकिस्तान के जनरल ज़िया-उल-हक की हो या मौजूदा सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर की, दोनों में एक बात साफ दिखती है कि सेना में पकड़ मजबूत करो और देश की सरकार का तख्तापलट कर दो. अब यही रास्ता बांग्लादेश की सेना भी अपनाने की ओर अग्रसर है. जनरल वकर-उज-जमां के हाल के बयान इस ओर इशारा करते हैं कि सेना, यूनुस सरकार की नीतियों से सहमत नहीं है और स्थिति का लाभ उठाकर अपना प्रभाव बढ़ाना चाहती है.
चुनाव की मांग और राजनीतिक स्थिरता पर जोर
एक सूत्र ने बताया कि सेना प्रमुख वकर-उज-जमां ने बुधवार को सेना की उच्चस्तरीय बैठक में कहा कि देश में दिसंबर 2025 तक आम चुनाव कराए जाने चाहिए. उन्होंने यह भी कहा कि स्थायी राजनीतिक व्यवस्था केवल एक निर्वाचित सरकार के माध्यम से ही स्थापित की जा सकती है, न कि तानाशाही निर्णयों से. बांग्लादेश में शेख हसीना के सत्ता से बेदखल हुए 10 महीने हो चुके है, लेकिन देश में अभी तक आम चुनाव नहीं हो पाए हैं.
सेना को नागरिक कार्यों में झोंकने पर नाराज़गी
यूनुस सरकार ने हालिया महीनों में कई नागरिक क्षेत्रों में पुलिस की जगह सेना की तैनाती की है. इस पर सेना प्रमुख ने असंतोष व्यक्त करते हुए कहा कि सेना को लंबे समय तक नागरिक कार्यों में लगाना उसकी सैन्य तैयारियों को नुकसान पहुंचा सकता है. इससे स्पष्ट है कि सेना सरकार की रणनीतियों से सहमत नहीं है.
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जनता और छात्र भी नाराज़
सिर्फ सेना ही नहीं, आम जनता और छात्र समुदाय भी यूनुस सरकार के खिलाफ आवाज़ उठा रहे हैं. सरकार द्वारा चुनाव न कराना और सेना का दुरुपयोग लोगों में असंतोष पैदा कर रहा है. इस अस्थिरता का लाभ उठाकर सेना सत्ता में दखल देने की कोशिश कर सकती है, जैसा कि पाकिस्तान में होता रहा है. पाकिस्तान में पाक सेना को मौका मिलते ही सरकार का तख्तापलट कर दिया जाता है. आजादी के बाद से आज तक किसी पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने अपना कार्यकाल पूरा नहीं किया है.