सीरिया में राष्ट्रपति बशर अल-असद के शासन को खत्म करने वाले विद्रोही संगठन हयात तहरीर अल-शाम (एचटीएस) के प्रमुख मोहम्मद अल-जुलानी ने भाषण दिया है। जोलानी ने कहा कि हमारी जीत पूरे इस्लामिक देश की विजय है। उसने दावा किया कि अब सीरिया का शुद्धिकरण शुरू हो गया है।
गौरतलब है कि बशर अल-असद सीरिया से भाग निकले। उनके रूस में शरण लेने की खबरें थीं। इस बीच सीरिया में एचटीएस ने दमिश्क को कब्जे में ले लिया। इसके बाद लोगों और विद्रोहियों को जश्न मनाते देखा गया।
‘मेरे भाइयों यह जीत ऐतिहासिक है’
अबु मोहम्मद अल-जुलानी ने दमिश्क पर कब्जा करने के बाद वीडियो संदेश में कहा, “मेरे भाइयों यह जीत ऐतिहासिक है। आज सीरिया का शुद्धिकरण हो रहा है। यह विजय जेल में बंद लोगों के दर्द से पैदा हुई और मुजाहिद्दीनों ने जंजीरों को तोड़ दिया है। जुलानी ने कहा, असद के नेतृत्व में सीरिया ईरानी महत्वाकांक्षाओं का गढ़ बन गया था, जहां सांप्रदायिकता अपने चरम पर थी। बता दें, विद्रोही गुट हयात तहरीर अल शाम आंतकी संगठन अल कायदा की शाखा रहा है। अबू मोहम्मद अल-गोलानी के नेतृत्व वाला एचटीएस इदलिब में प्रमुख ताकत रहा है।
पहले जबात नुसरा फ्रंट नाम से जाना जाता था तहरीर अल-शाम संगठन
तहरीर अल-शाम पहले जबात नुसरा फ्रंट नाम से जाना जाता था। दरअसल, एचटीएस को अल-कायदा ने बनाया था, ताकि सीरिया के गृहयुद्ध खत्म होने के बाद यहां की स्थिति का फायदा उठा सके। यह जल्द मकसद में कामयाब भी हो गया। इसने विद्रोही हमलों के साथ सेना और अन्य दुश्मनों के खिलाफ आत्मघाती बम विस्फोट किए। हालांकि, यह समूह धीरे-धीरे सीरिया और इराक में इस्लामिक स्टेट का कट्टर दुश्मन बन गया। अंततः 2016 में अल-कायदा से अलग हुआ। अमेरिका, रूस, तुर्किये, अन्य देशों ने तहरीर अल-शाम को आतंकवादी समूह घोषित किया है।
अबु मोहम्मद अल जुलानी के बारे में जानिये
जुलानी का असल नाम अहमद अल-शरा है। अबु जोलानी का जन्म 1982 को हुआ था। उसका लालन-पालन दमिश्क के माजेह में हुआ। परिवार का ताल्लुक गोलान हाइट्स इलाके से है। उसका दावा है कि उसके दादा को 1967 में गोलान हाइट्स से भागना पड़ा था, जब गोलान हाइट्स पर इस्राइल का कब्जा हो गया था।
2001 के हमलों के बाद जोलानी जिहाद की ओर अग्रसर हुआ
11 सितंबर 2001 के हमलों के बाद जुलानी ने जिहाद का रास्ता पकड़ा। मिडिल ईस्ट आई के अनुसार, वह हमलावरों से प्रेरित था। इसके बाद वह दमिश्क में गुप्त धर्मोपदेशों में भाग लेने लगा। वह बाद में इराक में अल-कायदा में शामिल हो गया। 2011 में सीरिया लौटने से पहले उसे पांच साल हिरासत में रखा गया, जहां उसने अल-कायदा की सीरियाई शाखा अल-नुसरा फ्रंट की स्थापना की। जुलानी ने 2016 में अल-कायदा से नाता तोड़ लिया और हयात तहरीर अल शाम की स्थापना कर असद सरकार के खिलाफ जंग का नेतृत्व करने लगा। दावा है कि जुलानी पर यूएस ने 10 मिलियन का इनाम घोषित कर रखा है।