मंगल मिशन की तैयारी में जुटा दक्षिण कोरिया, टास्क फोर्स का गठन कर अमेरिका से मांगा सहयोग - Punjab Kesari
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मंगल मिशन की तैयारी में जुटा दक्षिण कोरिया, टास्क फोर्स का गठन कर अमेरिका से मांगा सहयोग

मंगल मिशन के लिए कोरिया-अमेरिका का संयुक्त प्रयास

कोरिया एयरोस्पेस एडमिनिस्ट्रेशन ने अमेरिका के साथ मिलकर मंगल मिशन के लिए तैयारी शुरू की है। प्रमुख यून यंग-बिन ने एक टास्क फोर्स के गठन की घोषणा की, जो रचनात्मक तकनीकों के विकास पर काम करेगी। उन्होंने सौर निगरानी स्टेशन और चंद्रमा पर लैंडर बनाने की योजना भी साझा की।

कोरिया एयरोस्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (केएएसए) के प्रमुख ने कहा है कि दक्षिण कोरिया ने अमेरिका के साथ मिलकर भविष्य में मंगल ग्रह पर जाने वाले मिशनों में भाग लेने की संभावना पर काम शुरू कर दिया है। इसके लिए एक खास टीम (टास्क फोर्स) बनाई गई है, जो इस दिशा में योजना बनाएगी और जरूरी तैयारियां करेगी।

योनहाप समाचार एजेंसी के मुताबिक, यह बात एजेंसी के प्रमुख ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कही। यह कार्यक्रम साचियोन शहर में हुआ, जो सोल से 290 किलोमीटर दूर है। यह प्रेस कॉन्फ्रेंस एजेंसी की पहली सालगिरह के मौके पर आयोजित की गई थी। साचियोन में ही एजेंसी का मुख्य दफ्तर है।

केएएसए के प्रमुख यून यंग-बिन ने कहा, “अमेरिका अब अपने अंतरिक्ष बजट का ध्यान तेजी से मंगल ग्रह की ओर कर रहा है। वहां इंसानों को भेजने और उनकी मौजूदगी स्थापित करने की ठोस योजनाएं बन रही हैं। कोरिया में हमने हाल ही में सोचना शुरू किया है कि हमें इस समय क्या कदम उठाने चाहिए।”

यंग-बिन ने कहा, “हमने हाल ही में एक टास्क फोर्स गठित किया है।”

यून ने कहा, “हमें ऐसी खोज योजनाएं बनानी चाहिए जो सिर्फ वैज्ञानिक ही नहीं, बल्कि आर्थिक रूप से भी फायदेमंद हों, ताकि निजी कंपनियां भी इसमें बड़ी भूमिका निभा सकें।”

प्रशासक ने उल्लेख किया कि ऐसे योजनाएं “रचनात्मक और नवाचारी तकनीकों के विकास का मार्ग प्रशस्त कर सकती हैं, जिन्हें अब तक उन्नत देश भी हासिल नहीं कर पाए हैं।” उन्होंने बताया कि यह टास्क फोर्स मंगल अन्वेषण को आगे बढ़ाने के उद्देश्य से गठित की गई है।

यून ने उम्मीद जताई कि निचली पृथ्वी कक्षा और बहुत उच्च गुणवत्ता वाले उपग्रहों जैसे अलग-अलग मॉडलों को विकसित करके दक्षिण कोरिया का उपग्रह सिस्टम और भी मजबूत बनाया जा सकता है।

उनके विजन में यह भी शामिल था कि एक सौर निगरानी स्टेशन को एल4 नाम की खास अंतरिक्ष जगह पर स्थापित किया जाए, जो अभी तक पूरी तरह खोजा नहीं गया है। इसके अलावा, उन्होंने चंद्रमा पर अपना खुद का लैंडर बनाने और नई पीढ़ी की हवाई तकनीकों में आगे रहने की बात भी कही।

इसके अलावा, यून ने कहा कि इस साल के अंत तक देश के अपने बनाए गए अंतरिक्ष रॉकेट ‘नूरी’ की तकनीक को हनव्हा एयरोस्पेस कंपनी को सौंपने का समझौता पूरा हो सकता है। उन्होंने बताया कि इस मुद्दे पर सभी संबंधित पक्षों के बीच काफी हद तक सहमति बन गई है।

यून ने कहा, “अब जब हस्तांतरण शुल्क और तकनीकी विवरण तय हो गए हैं, तो हम हस्तांतरण की प्रक्रिया शुरू करेंगे। तीन प्रक्षेपणों के बाद, हनव्हा एयरोस्पेस से उम्मीद है कि वह सभी जरूरी तकनीक और संचालन की क्षमता पूरी तरह से हासिल कर लेगा।”

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