प्रदर्शनकारियों की बढ़ती संख्या और हिंसा को देखते हुए, राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 8 जून 2025 को कैलिफोर्निया नेशनल गार्ड के 2,000 जवानों को लॉस एंजिलिस भेजने का आदेश दिया. इसके बाद, 9 जून को 700 मरीन सैनिकों को भी तैनात किया गया, जिससे कुल संख्या 4,700 तक पहुंच गई है.
America News: अमेरिका में इमिग्रेशन पॉलिसी के खिलाफ विरोध प्रदर्शन और तेज हो गया है. लॉस एंजिलिस, पैरामाउंट और कॉम्पटन जैसे शहरों में 6 जून 2025 से विरोध प्रदर्शन जारी हैं. प्रदर्शनकारियों ने संघीय प्रवर्तन एजेंसियों की कार्रवाई का विरोध किया है, जिसके परिणामस्वरूप कई स्थानों पर हिंसक झड़पें हुई हैं. प्रदर्शनकारियों ने ICE (इमिग्रेशन एंड कस्टम्स एन्फोर्समेंट) की छापेमारी के खिलाफ आवाज उठाई है, जिसके कारण कम से कम 72 लोग गिरफ्तार हुए हैं और कई पुलिस अधिकारी तथा प्रदर्शनकारी घायल हुए हैं.
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, प्रदर्शनकारियों की बढ़ती संख्या और हिंसा को देखते हुए, राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 8 जून 2025 को कैलिफोर्निया नेशनल गार्ड के 2,000 जवानों को लॉस एंजिलिस भेजने का आदेश दिया. इसके बाद, 9 जून को 700 मरीन सैनिकों को भी तैनात किया गया, जिससे कुल संख्या 4,700 तक पहुंच गई है. व्हाइट हाउस ने इसे “अराजकता को नियंत्रित करने” के लिए आवश्यक कदम बताया है. वहीं कैलिफोर्निया के डेमोक्रेटिक गवर्नर ने इस कार्रवाई की निंदा की है.
वायरल वीडियो ने बढ़ाया विरोध
कैलिफोर्निया के डेमोक्रेटिक गवर्नर गेविन न्यूज़म ने राष्ट्रपति ट्रंप की इस कार्रवाई को संविधान विरोधी और अवैध बताया है.उन्होंने कहा कि राज्य की अनुमति के बिना सेना तैनात करना लोकतंत्र के लिए खतरा है.न्यूज़म ने सोशल मीडिया पर इसे “जानबूझकर भड़काऊ” कदम करार दिया और कहा कि इससे तनाव और बढ़ेगा.
इस विवाद में एक नया मोड़ तब आया जब 2020 में ट्रंप का एक पुराना वीडियो वायरल हुआ.इस वीडियो में ट्रंप ने कहा था कि राज्यपाल की अनुमति के बिना नेशनल गार्ड नहीं भेजे जा सकते. उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा था कि पोर्टलैंड में उन्होंने इनसरेक्शन एक्ट लागू नहीं किया क्योंकि इसकी जरूरत नहीं थी. लेकिन अब, 2025 में, ट्रंप ने बिना राज्यपाल की अनुमति के कैलिफोर्निया में सेना तैनात कर दी है, जो उनके पहले के बयान के विपरीत है.
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कानूनी और राजनीतिक विवाद
कैलिफोर्निया सरकार ने ट्रंप के आदेश को चुनौती देते हुए मुकदमा दायर किया है. कैलिफोर्निया के सीनेटर एलेक्जेंडर पैडिला और एडम शिफ ने इसे “अविचारपूर्ण” और “राजनीतिक लाभ के लिए” कदम बताया है. कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि यह कदम राष्ट्रपति की शक्तियों की सीमा का उल्लंघन कर सकता है.