सतुआ संक्रांति: सत्तू के दान से प्रसन्न होते हैं देव, तृप्त होते हैं पूर्वज - Punjab Kesari
Girl in a jacket

सतुआ संक्रांति: सत्तू के दान से प्रसन्न होते हैं देव, तृप्त होते हैं पूर्वज

सतुआ संक्रांति का महत्व: सत्तू का सेवन और दान का महत्व

सतुआन या सतुआ संक्रांति हिंदू धर्म में वह दिन है, जब घड़ा, पंखा, सत्तू और ठंडे फलों को दान कर लोग ढेरों पुण्य कमाते हैं। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन दान करने से देवी-देवता प्रसन्न होते हैं और पूर्वजों की आत्मा तृप्त होती है।

इसे गर्मी के मौसम की शुरुआत के प्रतीक के रूप में भी देखा जाता है।

पौराणिक कथा के अनुसार भगवान विष्णु ने राजा बलि को पराजित करने के बाद सबसे पहले सत्तू का भोजन किया था और इसी वजह से इस दिन सत्तू का सेवन करना अत्यंत शुभ माना जाता है।

काशी के ज्योतिषाचार्य, यज्ञाचार्य एवं वैदिक कर्मकांडी पं. रत्नेश त्रिपाठी ने सतुआ संक्रांति के महत्व पर प्रकाश डाला और विस्तार से जानकारी दी।

Haryana में अंबेडकर जयंती पर PM Modi की विकास परियोजनाओं की सौगात

उन्होंने बताया, “यह त्योहार भगवान सूर्य के राशि परिवर्तन से संबंधित है। इस दिन भगवान सूर्य राशि परिवर्तन करते हैं। सूर्य देव आज के दिन मीन राशि से निकलकर मेष राशि में प्रवेश करते हैं। इस अवसर पर श्रद्धालु गंगा या अन्य पवित्र नदियों में डुबकी लगाते हैं और फिर पूजा-पाठपाठ करते हैं। भगवान सूर्य की आराधना करने के बाद श्रद्धालु सत्तू, जल से भरा घड़ा, गुड़, मौसमी फल जैसे बेल, तरबूज, खरबूज, कच्चा आम समेत मौसम से जुड़ी चीजों का दान करते हैं।”

उन्होंने बताया, “इस दिन भरा हुआ घड़ा दान करने से पितर तृप्त होते हैं। वहीं, सत्तू के दान से देव प्रसन्न होते हैं और पापों का नाश होता है। ज्योतिषाचार्य के अनुसार जिनकी कुंडली में चंद्रमा कमजोर होते हैं, यदि वे आज के दिन जल से भरा घड़ा दान करते हैं तो उनका चंद्रमा मजबूत होता है।”

उन्होंने आगे बताया, “भगवान सूर्य को समर्पित इस दिन को मेष संक्रांति के नाम से भी जाना जाता है। भगवान सूर्य के राशि परिवर्तन करने के साथ ही खरमास का भी आज ही के दिन समापन हो जाता है। खरमास समाप्ति के साथ शुभ कार्य जैसे शादी, उपनयन संस्कार समेत अन्य मांगलिक कार्य शुरू हो जाते हैं।”

बता दें, धर्म में सत्तू को जितना पवित्र माना जाता है उतना ही स्वास्थ्य के लिहाज से भी लाभदायक है। गर्मी के मौसम में सत्तू के सेवन से शरीर में एनर्जी बनी रहती है। सत्तू के बने शरबत से शरीर की तपन दूर होती है और यह शीतलता देता है। फाइबर से भरपूर सत्तू के सेवन से पेट की गर्मी दूर होती है और पाचन तंत्र भी मजबूत बनता है।

आयुर्वेदाचार्य बताते हैं कि गर्मी के दिनों में लू से बचने के लिए घर से निकलने से पहले सत्तू या शरबत के सेवन से लू लगने का भय नहीं रहता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *


Girl in a jacket
पंजाब केसरी एक हिंदी भाषा का समाचार पत्र है जो भारत में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली के कई केंद्रों से प्रकाशित होता है।