इंदौर में एक रिटायर्ड प्रोफेसर को साइबर ठगों ने 33 लाख रुपये का चूना लगाया। ठगों ने खुद को दिल्ली पुलिस का अधिकारी बताकर प्रोफेसर को गिरफ्तार करने की धमकी दी और आधार कार्ड से जुड़े बैंक खातों का हवाला दिया। पुलिस ने समय पर कार्रवाई कर 26.45 लाख रुपये वापस मंगवा लिए।
मध्य प्रदेश से एक चौंकाने वाला मामले सामने आया है। एमपी के इंदौर में साइबर ठगों ने एक रिटायर्ड प्रोफेसर को झांसे में लेकर 33 लाख रुपये ठग लिए। पुलिस ने मंगलवार को यह जानकारी दी कि समय पर कार्रवाई कर 26.45 रुपए वापस मंगवा लिए गए हैं। अतिरिक्त पुलिस उपायुक्त राजेश डांडोतिया के अनुसार, ठगों के एक गिरोह ने रिटायर्ड प्रोफेसर को वीडियो कॉल किया और खुद को दिल्ली पुलिस के साइबर क्राइम ब्रांच का अधिकारी बताया।
ऐसे निकाले 33 लाख रुपए
ठगों ने दावा किया कि प्रोफेसर का आधार कार्ड ऐसे बैंक खातों से जुड़ा हुआ है, जिनका इस्तेमाल करोड़ो रुपए के मनी लॉन्ड्रिंग में किया गया है। इसके बाद ठगों ने प्रोफेसर को गिरफ्तारी की धमकी दी और पूछताछ के बहाने उनपर मानसिक दबाव बनाया। डर में प्रोफेसर ने ठगों की बात मानकर बैंक से 33 लाख रुपए उनके बताए अकाउंट में ट्रांसफर कर दिए।
प्रोफेसर ने पुलिस को इसकी जानकारी दी, तो पुलिस ने तुरंत कार्रवाई की और 26.45 लाख रुपए वापस दिलवाए। इस रकम से प्रोफेसर ने पुणे में अपना लीवर ट्रांसप्लांट करवाने वाले थे। पुलिस ने बताया कि इस धोखाधड़ी में इस्तेमाल होने वाले 49 बैंक खातों को ब्लॉक कर दिया गया है। पुलिस अब बाकी पैसों को वापस लाने की कोशिश कर रही है।
क्या होता है डिजीटल अरेस्ट
बता दें डिजिटल अरेस्ट साइबर ठगी का एक नया तरीका है। डिजिटल अरेस्ट में ठग खुद को कानून प्रवर्तन अधिकारी या कोई उच्च पद का अधिकारी बता कर आपको डराने की कोशिश करते हैं। डर के कारण लोग जालसाजों पर विश्वास कर उनके बताए बैंक खातों में पैसे ट्रांसफर कर देते हैं। पुलिस ने लोगों से अपील की है कि वे ऐसे कॉल से सावधान रहें और कॉल आने पर तुरंत पुलिस को सूचित करें।
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