श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने पिछले पांच सालों में सरकार को करोड़ो रुपये का टैक्स दिया है। ट्रस्ट के सचिव चंपत राय ने बताया कि इसमें से 270 करोड़ रुपये जीएसटी के रूप में चुकाए गए हैं। अयोध्या में राम मंदिर धार्मिक पर्यटन का केंद्र बन गया है, जिससे स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के अवसर बढ़े हैं।
श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने रविवार 16 मार्च को पिछले 5 सालों का लेखा-जोखा दिया। ट्रस्ट के सचिव चंपत राय ने बताया कि अयोध्या में राम मंदिर में धार्मिक पर्यटन बढ़ने के बीच पिछले पांच सालों में सरकार को करोड़ो को भारी टैक्स दिया है।
पांच सालों में राम मंदिर ने करीब 400 करोड़ रुपये टैक्स का भुगतान किया गया है। उन्होंने बताया कि यह रकम 5 फरवरी 2020 से 5 फरवरी 2025 के बीच चुकाई गई। इसमें से 270 करोड़ रुपये वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के रूप में चुकाए गए, जबकि शेष 130 करोड़ रुपये विभिन्न अन्य कर श्रेणियों के तहत चुकाए गए।
महाकुंभ में हुई श्रद्धालुओं की संख्या में बढ़ोतरी
ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने बताया कि रामलला की जन्मस्थली अयोध्या में श्रद्धालुओं और पर्यटकों की संख्या में 10 गुना बढ़ोतरी हुई है। ऐसे में यह स्थान अब धार्मिक पर्यटन का केंद्र बन गया है। हजारों की संख्या में धार्मिक श्रद्धालुओं और पर्यटकों के आने से अयोध्या के स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के अवसर पैदा हो रहे हैं। यह अच्छी बात है, क्योंकि अब उन बेरोजगार लोगों को भी आजीविका कमाने का मौका मिल रहा है, जो काम की तलाश में भटक रहे थे। ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने बताया कि महाकुंभ 2020 के दौरान करीब 1.26 करोड़ श्रद्धालु अयोध्या आए और रामलला के दर्शन किए। चंपत राय ने बताया कि ट्रस्ट के वित्तीय अभिलेखों का लेखा-जोखा नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक के अधिकारियों द्वारा किया जाता है।
राम मंदिर निर्माण में कितने करोड़ खर्च हुए
महासचिव चंपत राय ने बताया कि राम मंदिर निर्माण में अब तक 2150 करोड़ रुपये खर्च हो चुके हैं। यह सारा लेखा-जोखा 5 फरवरी 2020 से 28 फरवरी 2025 तक का था। ट्रस्ट की ओर से विभिन्न राज्यों से टैक्स के रूप में सरकार को 396 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया, जो कुल व्यय का 18 प्रतिशत है। चंपत राय ने बताया कि जीएसटी के रूप में 272 करोड़ रुपये, टीडीएस के रूप में 39 करोड़ रुपये, लेबर सेस के रूप में 14 करोड़ रुपये और पीएफ व ईएसआई के रूप में 7.04 करोड़ रुपये खर्च हुए। इसके अलावा बिजली बिल, बीमा पॉलिसी, स्टांप ड्यूटी और श्री राम जन्मभूमि के नक्शे के लिए विकास प्राधिकरण को दिया गया शुल्क आदि कई अन्य खर्च हैं।
Ram Mandir आरती का Entry Pass ऐसे करें बुक