सिंध प्रांत में सिंधु नहर परियोजना के खिलाफ विरोध तेज हो गया है। वकील, राजनीतिक दल और नागरिक संगठन खैरपुर जिले में धरना दे रहे हैं। प्रदर्शनकारियों की मांग है कि जब तक परियोजना रद्द नहीं होती, वे धरना जारी रखेंगे। इस विरोध में दो लाख से अधिक लोग शामिल हैं, और यह सिंधु नदी पर प्रस्तावित नहरों के निर्माण के विरुद्ध है।
पाकिस्तान के सिंध प्रांत में केंद्रीय सरकार की सिंधु नदी पर छह नई नहरें बनाने की परियोजना के खिलाफ चल रहा प्रदर्शन और तेज हो गया है।
वकील, राजनीतिक दल, और कई नागरिक संगठनों ने खैरपुर जिले के बाबरलोई बाइपास पर पिछले हफ्ते से धरना जारी रखा है। प्रदर्शनकारियों ने साफ कहा है कि जब तक सरकार इस परियोजना को पूरी तरह रद्द नहीं करती, वे धरना खत्म नहीं करेंगे।
आंदोलनकारियों के मुताबिक, इस प्रदर्शन में दो लाख से ज्यादा लोग शामिल हैं। जिनमें महिलाएं और बच्चे भी शामिल हैं। स्थानीय मीडिया के अनुसार, यह विरोध सिंधु नदी पर प्रस्तावित छह नहरों के निर्माण के विरुद्ध है।
सिंध की जनता इसे अपनी आजीविका और पर्यावरण के लिए खतरा मानती है। शुक्रवार को बाबरलोई में प्रदर्शनकारियों को संबोधित करते हुए कराची बार एसोसिएशन (केबीए) के अध्यक्ष आमिर नवाज वाराइच ने पुलिस को चेतावनी दी थी।
उन्होंने कहा, “अगर पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को परेशान किया या कोई कदम उठाया, तो पूरा सिंध बंद हो जाएगा और इसके लिए पुलिस जिम्मेदार होगी।”
वाराइच ने कहा कि धरना तब तक जारी रहेगा, जब तक परियोजना रद्द करने की अधिसूचना जारी नहीं हो जाती।
उन्होंने केंद्र सरकार को दो दिन का अल्टीमेटम दिया है कि वह परियोजना रद्द करने की अधिसूचना जारी करे।
वाराइच ने कहा, “अगर ऐसा नहीं हुआ, तो हम रोहरी में रेलवे ट्रैक जाम कर देंगे।”
जमीअत उलेमा-ए-इस्लाम-फजल (जेयूआई-एफ) सिंध के नेता अल्लामा राशिद महमूद सूमरो ने भी प्रदर्शन में हिस्सा लिया। उन्होंने गुरुवार को प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के उस बयान को खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने नहर परियोजना पर काम रोकने और आम सहमति के लिए काउंसिल ऑफ कॉमन इंटरेस्ट्स (सीसीआई) की बैठक बुलाने की बात कही थी। सूमरो ने सवाल उठाया, “जब परियोजना को मंजूरी दी गई, तब सीसीआई या इंडस रिवर सिस्टम अथॉरिटी (आईआरएसए) से सलाह क्यों नहीं ली गई? अब रद्द करने के लिए सीसीआई की बैठक की क्या जरूरत है?”
उन्होंने कहा कि यह सरकार का नाटक है और वे इसे स्वीकार नहीं करेंगे। सूमरो ने कहा कि प्रधानमंत्री के पास परियोजना को तुरंत रद्द करने का अधिकार है, और जब तक ऐसा नहीं होता, विरोध जारी रहेगा।
इस बीच, प्रदर्शन के कारण देश की आपूर्ति व्यवस्था बुरी तरह प्रभावित हुई है। पाकिस्तानी अखबार ‘डॉन’ के मुताबिक, ट्रांसपोर्ट गुड्स एसोसिएशन के अध्यक्ष तारिक गुज्जर ने बताया कि सक्कुर-लरकाना और बहावलपुर के आसपास 10,000 से 15,000 ट्रक, कंटेनर, और तेल टैंकर सड़क जाम होने के कारण फंसे हुए हैं। उन्होंने कहा कि सक्कुर-लरकाना क्षेत्र से बहावलपुर तक माल की आवाजाही पूरी तरह ठप है। प्रदर्शनकारियों ने सड़कों को ब्लॉक कर रखा है, जिससे व्यापार और परिवहन पर भारी असर पड़ा है।
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