एक आंसू भी हुकूमत के लिए.., Lucknow में सपा का पोस्टर वार, बुलडोजर एक्शन पर सरकार को घेरा - Punjab Kesari
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एक आंसू भी हुकूमत के लिए.., Lucknow में सपा का पोस्टर वार, बुलडोजर एक्शन पर सरकार को घेरा

लखनऊ में सपा का पोस्टर वार, योगी सरकार पर कसा तंज

उत्तर प्रदेश की राजनीति में पोस्टर वार शुरू हो गया है। लखनऊ में सपा ने योगी सरकार को ‘भक्षक’ और अखिलेश यादव को ‘रक्षक’ के रूप में पेश किया है। पोस्टर में एक लड़की की तस्वीर है जो बुलडोजर कार्रवाई के दौरान जलते घर से भाग रही है। अखिलेश यादव ने उसे आर्थिक मदद दी और उसकी पढ़ाई का खर्च उठाने का वादा किया।

उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक बार फिर पोस्टर वार छिड़ चुकी है। राजधानी लखनऊ में समाजवादी पार्टी कार्यालय के सामने एक पोस्टर लगाया गया है, जिसमें सपा ने योगी सरकार को घेरा है। इस पोस्टर के जरिए समाजवादी पार्टी और बीजेपी की विचारधारा का अंतर दिखाने की कोशिश की गई है। इस पोस्टर में दो तस्वीरें हैं- एक जिसमें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार को ‘भक्षक’ बताया गया है और दूसरी जिसमें सपा प्रमुख अखिलेश यादव को ‘रक्षक’ के तौर पर पेश किया गया है।

पोस्टर में फर्क दिखा रही सपा

पोस्टर के सबसे ऊपर लिखा है, “फर्क साफ है। एक आंसू भी सरकार के लिए खतरा है…आंखों के समंदर को भक्षक बनते नहीं देखा?” पोस्टर में पहली तस्वीर अंबेडकर नगर में बुलडोजर चलाने के दौरान एक लड़की की है, जो अपने स्कूल बैग को सीने से लगाए जलते छप्पर से भागती नजर आ रही है। यह तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल हो गई है और लड़की का नाम अनन्या बताया जा रहा है। दूसरी तस्वीर में अखिलेश यादव उसी लड़की को स्कूल बैग देते नजर आ रहे हैं। पोस्टर पर लिखा है कि अखिलेश यादव ने लड़की अनन्या को लखनऊ बुलाकर उसे एक लाख रुपए की आर्थिक मदद दी और पोस्ट ग्रेजुएशन तक उसकी पढ़ाई का खर्च उठाने का वादा किया।

यह पोस्टर अमेठी के सपा कार्यकर्ता जयसिंह प्रताप यादव ने लगाया है। पोस्टर का मकसद योगी सरकार की कार्यशैली की आलोचना करना और सपा की ‘जनता हितैषी’ छवि पेश करना बताया जा रहा है।

क्या है पूरा मामला?

आपको बता दें कुछ दिन पहले अंबेडकर नगर में अवैध निर्माण के खिलाफ प्रशासनिक कार्रवाई के दौरान कई मकानों पर बुलडोजर चलाया गया था। इस कार्रवाई के दौरान यह नजारा सामने आया, जब लड़की अनन्या अपने जलते हुए घर से किताबों से भरा बैग सीने पर रखकर भागती नजर आई। इस घटना ने कई लोगों को भावुक कर दिया और सोशल मीडिया पर भी इस पर व्यापक बहस हुई। अब सपा इस मामले पर सियासत कर रही है। पोस्टर को लेकर प्रशासन की ओर से अभी तक कोई बयान नहीं आया है, लेकिन यह साफ है कि चुनावी साल में इस तरह के प्रतीकात्मक हमले सियासी पारा और बढ़ा सकते हैं।

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