PM मोदी ने Mahakumbh 2025 को बताया एकता और श्रद्धा का प्रतीक - Punjab Kesari
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PM मोदी ने Mahakumbh 2025 को बताया एकता और श्रद्धा का प्रतीक

Mahakumbh: 66 करोड़ श्रद्धालुओं ने लिया संगम में स्नान

प्रयागराज में महाकुंभ 2025 का आयोजन एक ऐतिहासिक इवेंट के रूप में संपन्न हुआ। यह विशाल धार्मिक समागम 13 जनवरी से शुरू हुआ और 26 फरवरी तक चला। इस अवधि में 66 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं ने संगम तट पर स्नान किया, जो अपने आप में अभूतपूर्व है। यह न केवल भारत की आध्यात्मिक शक्ति को दर्शाता है, बल्कि देशवासियों की एकता और श्रद्धा को भी उजागर करता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महाकुंभ के संपन्न होने के अवसर पर अपनी भावनाओं को साझा किया है।

पीएम मोदी ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ लिखा, “महाकुंभ संपन्न हुआ…एकता का महायज्ञ संपन्न हुआ। प्रयागराज में एकता के महाकुंभ में पूरे 45 दिनों तक जिस प्रकार 140 करोड़ देशवासियों की आस्था एक साथ, एक समय में इस एक पर्व से आकर जुड़ी, वो अभिभूत करता है!

पीएम मोदी ने लिखा, “जब एक राष्ट्र की चेतना जागृत होती है, जब वो सैकड़ों साल की गुलामी की मानसिकता के सारे बंधनों को तोड़कर नव चैतन्य के साथ हवा में सांस लेने लगता है, तो ऐसा ही दृश्य उपस्थित होता है, जैसा हमने 13 जनवरी के बाद से प्रयागराज में एकता के महाकुंभ में देखा।

पीएम मोदी ने लिखा कि प्रयागराज में महाकुंभ के दौरान सभी देवी-देवता जुटे, संत-महात्मा जुटे, बाल-वृद्ध जुटे, महिलाएं-युवा जुटे, और हमने देश की जागृत चेतना का साक्षात्कार किया। ये महाकुंभ एकता का महाकुंभ था, जहां 140 करोड़ देशवासियों की आस्था एक साथ एक समय में इस एक पर्व से आकर जुड़ गई थी। तीर्थराज प्रयाग के इसी क्षेत्र में एकता, समरसता और प्रेम का पवित्र क्षेत्र श्रृंगवेरपुर भी है, जहां प्रभु श्रीराम और निषादराज का मिलन हुआ था। उनके मिलन का वो प्रसंग भी हमारे इतिहास में भक्ति और सद्भाव के संगम की तरह ही है। प्रयागराज का ये तीर्थ आज भी हमें एकता और समरसता की वो प्रेरणा देता है।

पीएम मोदी ने महाकुंभ के भव्य आयोजन को आधुनिक युग के मैनेजमेंट प्रोफेशनल्स के लिए, प्लानिंग और पॉलिसी एक्सपर्ट्स के लिए एक नए अध्ययन का विषय बताया। उन्होंने लिखा, “पूरी दुनिया हैरान है कि कैसे एक नदी तट पर, त्रिवेणी संगम पर इतनी बड़ी संख्या में करोड़ों की संख्या में लोग जुटे। इन करोड़ों लोगों को ना औपचारिक निमंत्रण था, ना ही किस समय पहुंचना है, उसकी कोई पूर्व सूचना थी। बस, लोग महाकुंभ चल पड़े…और पवित्र संगम में डुबकी लगाकर धन्य हो गए। आज पूरे विश्व में इस तरह के विराट आयोजन की कोई दूसरी तुलना नहीं है, ऐसा कोई दूसरा उदाहरण भी नहीं है।

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