पाकिस्तान के भी होंगे टुकड़े! संसद में शहबाज शरीफ के नेताओं ने कर दी ये आनोखी मांग - Punjab Kesari
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पाकिस्तान के भी होंगे टुकड़े! संसद में शहबाज शरीफ के नेताओं ने कर दी ये आनोखी मांग

पाकिस्तान के भी होंगे टुकड़े!

शहबाज शरीफ की पार्टी पीएमएल-एन और बिलावल भुट्टो जरदारी की गठबंधन सहयोगी पीपीपी के सांसदों ने क्रमशः खैबर पख्तूनख्वा और पंजाब को विभाजित करने की बात कही है. सरकार के धार्मिक मामलों के मंत्री सरदार मुहम्मद यूसुफ ने खैबर पख्तूनख्वा को विभाजित कर हजारा प्रांत बनाए जाने की मांग उठाई

Pakistan News: पाकिस्तान की नेशनल असेंबली से हैरान कर देने वाली खबर सामने आई है. दरअसल, असेंबली में जारी बजट सत्र के दौरान सत्ता पक्ष की ही दो प्रमुख पार्टियों के नेताओं ने नए प्रांतों की मांग कर राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है. शहबाज शरीफ की पार्टी पीएमएल-एन और बिलावल भुट्टो जरदारी की गठबंधन सहयोगी पीपीपी के सांसदों ने खैबर पख्तूनख्वा और पंजाब को विभाजित करने की बात कही है.

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, सरकार के धार्मिक मामलों के मंत्री सरदार मुहम्मद यूसुफ ने खैबर पख्तूनख्वा को विभाजित कर हजारा प्रांत बनाए जाने की मांग उठाई. उन्होंने कहा कि खैबर पख्तूनख्वा की सरकार हजारा क्षेत्र के साथ भेदभाव कर रही है. वहां की जनता आज भी बुनियादी सुविधाओं जैसे साफ पानी के लिए जूझ रही है. छोटे-छोटे प्रांत बनने से प्रशासनिक कामकाज में तेजी आएगी और नागरिकों को स्थानीय स्तर पर सुविधाएं मिल सकेंगी.

दक्षिण पंजाब को लेकर भी उठी आवाज़

पीपीपी के सांसद सैयद मुर्तजा महमूद ने पंजाब के विभाजन की मांग करते हुए दक्षिण पंजाब को अलग प्रांत का दर्जा देने की वकालत की. उन्होंने कहा कि पंजाब पाकिस्तान के कुल क्षेत्रफल का 60% हिस्सा है और ऐसे में सत्ता और संसाधनों का केंद्रीकरण यहां की अन्य क्षेत्रों के लिए असंतुलन पैदा करता है. महमूद ने यह भी कहा कि यदि पंजाब को विभाजित नहीं किया गया तो क्षेत्रीय असंतोष और ज्यादा बढ़ सकता है.

मौजूदा समय में पाकिस्तान के प्रांत

  • मौजूदा समय में पाकिस्तान में पांच आधिकारिक प्रांत हैं:

  • पंजाब

  • सिंध

  • खैबर पख्तूनख्वा

  • बलूचिस्तान

  • गिलगित-बाल्टिस्तान

इसके आलवा पीओके (पाक अधिकृत कश्मीर) और इस्लामाबाद कैपिटल टेरिटरी को केंद्रशासित क्षेत्रों के रूप में देखा जाता है.

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राजनीतिक हितों की भूमिका

इन प्रांतीय मांगों के पीछे केवल प्रशासनिक तर्क नहीं हैं, बल्कि राजनीतिक समीकरण भी बड़ी भूमिका निभा रहे हैं. जहां पीएमएल-एन पंजाब में सत्ताधारी है, वहां पीपीपी को जनाधार नहीं मिल पा रहा है. वहीं खैबर पख्तूनख्वा में इमरान खान की पार्टी मजबूत है और पीएमएल-एन यहां कमजोर है.

ऐसे में इन प्रांतों को विभाजित करने की मांग को सत्ता के समीकरणों से जोड़कर भी देखा जा रहा है. हजारा और दक्षिण पंजाब को अलग प्रांत बनाने की मांग कोई नई नहीं है. ये मांगें पहले से उठती रही हैं, लेकिन अब जब सरकार में शामिल नेता खुद इसे संसद में ज़ोर-शोर से उठा रहे हैं, तो इससे शहबाज सरकार की चिंता और भी बढ़ गई है.

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