माइंडफुलनेस से चिंता पर काबू: नया शोध - Punjab Kesari
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माइंडफुलनेस से चिंता पर काबू: नया शोध

ध्यान से एंग्जाइटी पर नियंत्रण: शोध की खोज

माइंडफुलनेस एक ऐसी तकनीक है, जो हमारी मानसिक शांति को वापस लाने के साथ ही तनाव और एंग्जाइटी से निपटने में भी बहुत मददगार है। नए शोध में पता चला है कि माइंडफुलनेस के जरिए कॉग्निटिव कंट्रोल में सुधार किया जा सकता है और इस तरह से एंग्जाइटी से निपटने में भी मदद मिलती है।

नियमित माइंडफुलनेस मेडिटेशन का अभ्यास करने वाले लोगों में चिंता के लक्षण कम होते हैं। नए शोध से पता चलता है कि ध्यान केंद्रित करने से उन लोगों को लाभ हो सकता है जो लगातार चिंता करते रहते हैं।

अमेरिका, सेंट लुइस,वाशिंगटन विश्वविद्यालय के माइंडफुलनेस साइंस एंड प्रैक्टिस रिसर्च क्लस्टर के पोस्ट डॉक्टरल रिसर्च एसोसिएट रेश गुप्ता ने बताया कि कि माइंडफुलनेस तकनीक का पीछे का मूल विचार बिना किसी जजमेंट या पूर्वाग्रह के मौजूदा पल पर फोकस करना होता है। यह चिंता को शांत करने और फोकस में सुधार करने में मदद कर सकता है। कई शोध हुए और उनमें पता चला कि माइंडफुलनेस चिंता के लक्षणों को कम कर सकता है।”

न्यूरोसाइंस एंड बायो बिहेवियरल रिव्यू में प्रकाशित एक पेपर में उन्होंने कहा, “हम सभी चिंता का अनुभव करते हैं, लेकिन यह कई अलग-अलग तरीकों से सामने आती है। इस वजह से इस समस्या का पता लगाना मुश्किल हो जाता है।”

सभी के लिए एक ही उपाय अपनाने के बजाय, वे सुझाव देते हैं कि अलग-अलग तरह की माइंडफुलनेस प्रैक्टिस चिंता के अलग-अलग प्रकारों से निपटने में मददगार हो सकती है। गुप्ता ने कहा कि प्रस्तावित रूपरेखा से हमें यह समझने में मदद मिलेगी कि चिंता से पीड़ित लोगों को अधिक सटीक उपचार कैसे दिया जाए।

मनोवैज्ञानिक और शोध के सह-लेखक प्रोफेसर टॉड ब्रेवर ने कहा कि यह मान्यता बढ़ रही है कि यह प्रैक्टिस मनोविज्ञान के क्षेत्र अविश्वसनीय रूप से उपयोगी हो सकती है। इससे लोगों को बहुत मदद मिल सकती है, लेकिन हम अभी भी पूरी तरह से उस प्रक्रिया को नहीं समझ पाए हैं जो माइंडफुलनेस के लिए लाभकारी हो सकती है। यहीं पर वैज्ञानिक शोध बहुत मूल्यवान हो सकता है, क्योंकि इससे हमें अधिक सटीक रूप से यह पहचानने में मदद मिलती है कि माइंडफुलनेस में कुछ खास तकनीक और ट्रेनिंग क्यों और कैसे प्रभावी हैं।”

जो लोग अत्यधिक सतर्क रहते हैं और चिंता के बहुत से शारीरिक लक्षणों का अनुभव करते हैं, जैसे तेज धड़कन होना, पसीने से तर हथेलियां, सीने में जकड़न, उनको इससे काफी फायदा हो सकता है।

गुप्ता ने कहा, “इस प्रकार की चिंता या लक्षण में ओपन मॉनिटरिंग नामक ‘माइंडफुलनेस मेडिटेशन’ फायदेमंद हो सकती है। इसमें सांस पर ध्यान केंद्रित करने के बजाय, आप पल-पल के सभी आंतरिक और बाहरी अनुभवों को पर ध्यान फोकस कर सकते हैं।”

ब्रेवर इस बात से उत्साहित हैं कि क्लस्टर और अन्य संस्थानों के हालिया शोध से लोगों को माइंडफुलनेस के बारे में अधिक समझ विकसित करने में मदद मिलेगी।

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