मुस्लिम मर्द अपने फायदे के लिए करते हैं चार शादियां, Allahabad High Court की बड़ी टिप्पणी - Punjab Kesari
Girl in a jacket

मुस्लिम मर्द अपने फायदे के लिए करते हैं चार शादियां, Allahabad High Court की बड़ी टिप्पणी

इलाहाबाद हाई कोर्ट का मुस्लिम मर्दों की शादी पर सख्त रुख

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मुस्लिम पुरुषों द्वारा चार शादियां करने पर टिप्पणी करते हुए कहा कि उन्हें दूसरी शादी करने का अधिकार तभी है जब वे सभी पत्नियों के साथ समान व्यवहार करें। कोर्ट ने कुरान के बहुविवाह की विशेष अनुमति का उल्लेख किया और इसे मुस्लिम पुरुषों द्वारा स्वार्थी तरीके से उपयोग करने की आलोचना की।

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में मुस्लिम मर्दों के चार शादियों करने पर बड़ी टिप्पणी की है। कोर्ट ने कहा है कि मुस्लिम मर्दों को दूसरी शादी तभी करनी स चाहिए जब वह अपनी सभी पत्नियों से समान व्यवहार करें। कुरान में ख़ास कारणों से बहु विवाह की इजाजत है। लेकिन, मुस्लिम पुरुष अपने स्वार्थ के लिए चार-चार शादियां कर रहे हैं।

मुरादाबाद से जुड़े मामले में सुनवाई

हाई कोर्ट ने मुरादाबाद से जुड़े एक मामले की सुनवाई करते हुए यह प्रतिक्रिया दी है। अदालत ने कहा है कि मुस्लिम पुरुषों को दूसरी शादी करने का तब तक कोई अधिकार नहीं है, जब तक वह अपनी सभी पत्नियों के साथ समान व्यवहार न करें। कुरान में विधवा, अनाथ मुस्लिम महिला की सुरक्षा को देखते हुए विशेष इजाजत दी गई है। लेकिन मुस्लिम मर्द इसका गलत फायदा उठाते हैं।

मुस्लिम मर्द अपने फायदे के लिए करते हैं चार शादियां

क्या है पूरा मामला?

कोर्ट ने आवेदक फुरकान और दो अन्य की याचिका पर सुनवाई के दौरान समान नागरिक संहिता की वकालत करते हुए यह बात कही। याचिकाकर्ता फुरकान, खुशनुमा और अख्तर अली ने मुरादाबाद सीजेएम कोर्ट में याचिका दायर कर 8 नवंबर 2020 को दाखिल चार्जशीट पर संज्ञान लेने और समन आदेश को रद्द करने की मांग की थी। तीनों याचिकाकर्ताओं के खिलाफ 2020 में मुरादाबाद के मैनाठेर थाने में आईपीसी की धारा 376, 495, 120 बी, 504 और 506 के तहत एफआईआर दर्ज की गई थी।

कोर्ट ने आगे कहा, ‘ कुरान उचित कारण से बहुविवाह करने की इजाजत देता है और यह सशर्त विवाह होती है। हालांकि, मुस्लिम पुरुष अपने स्वार्थ के लिए चार-चार शादियां करते हैं। कोर्ट ने अपने 18 पन्नो के फैसले में बताया कि मौजूदा विवाद के मद्देनजर विपक्षी संख्या दो के बयान के अवलोकन से यह स्पष्ट है कि उसने स्वीकार किया है कि आवेदक संख्या एक यानी फुरकान ने उससे दूसरी शादी की है और दोनों मुस्लिम हैं, इसलिए दूसरी शादी वैध है।

अदालत ने आगे कहा, “आवेदकों के खिलाफ मौजूदा मामला आईपीसी की धारा 376 सहपठित 495/120-बी के तहत अपराध नहीं बनता है। अदालत ने कहा कि इस मामले पर विचार करने की जरूरत है। अदालत ने विपक्षी संख्या दो को नोटिस जारी कर मामले को 26 मई 2025 से शुरू होने वाले सप्ताह में सूचीबद्ध करने का आदेश दिया है। अदालत ने आदेश दिया कि अगले आदेश तक मामले में आवेदकों के खिलाफ कोई कठोर कार्रवाई नहीं की जाएगी।”

पहलगाम हमले के बाद से रक्षा शेयरों के बाजार मूल्य में 86,000 करोड़ रुपए से अधिक की वृद्धि

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

seven + 6 =

Girl in a jacket
पंजाब केसरी एक हिंदी भाषा का समाचार पत्र है जो भारत में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली के कई केंद्रों से प्रकाशित होता है।