सशक्त उत्तराखंड हेतु महिला सशक्तिकरण’ विषयक कार्यक्रमों के क्रियान्वयन के लिए एक द्विपक्षीय समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए गए। राष्ट्रीय महिला आयोग इस साझेदारी में केंद्रीय भूमिका निभाएगा, जिसमें वह अपने व्यापक अनुभव और विशेषज्ञता के आधार पर महत्वपूर्ण योगदान देगा।
राष्ट्रीय महिला आयोग और उत्तराखंड के सेतु आयोग के बीच ‘विकसित एवं सशक्त उत्तराखंड हेतु महिला सशक्तिकरण’ विषयक कार्यक्रमों के क्रियान्वयन के लिए एक द्विपक्षीय समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए गए। यह एमओयू राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष विजय रहाटकर और सेतु आयोग के उपाध्यक्ष राज शेखर जोशी के बीच संपन्न हुआ। यह समझौता राज्य में महिलाओं की शिक्षा, स्वास्थ्य, सुरक्षा, आर्थिक भागीदारी एवं विधिक जागरूकता को सुदृढ़ करने हेतु बहु-आयामी पहलों को संस्थागत रूप देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है। प्रस्तावित कार्यक्रमों में एकीकृत ग्रामीण स्मार्ट गांव केंद्रों की स्थापना, विवाह पूर्व संवाद केंद्र, उच्च शिक्षण संस्थानों में महिला सुरक्षा एवं संरक्षण पर केंद्रित प्रशिक्षण और कार्यस्थलों को महिलाओं के लिए अधिक सुरक्षित एवं समावेशी बनाए जाने जैसे लक्ष्य सम्मिलित हैं।
राष्ट्रीय महिला आयोग इस साझेदारी में केंद्रीय भूमिका निभाएगा, जिसमें वह अपने व्यापक अनुभव और विशेषज्ञता के आधार पर महत्वपूर्ण योगदान देगा। आयोग महिला सुरक्षा और सशक्तिकरण से संबंधित राष्ट्रीय स्तर के कार्यक्रमों से प्राप्त अनुभव के आधार पर तकनीकी सहयोग प्रदान करेगा। उत्तराखंड की स्थानीय आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए प्रशिक्षण सामग्री, मॉड्यूल और ज्ञान संसाधनों का विकास करेगा। राष्ट्रीय स्तर पर अपनाई गई सर्वोत्तम प्रक्रियाओं (बेस्ट प्रैक्टिसेज) को साझा करके, आयोग राज्य की पहलों को और प्रभावी बनाएगा।
इसके अलावा, यह राज्य स्तरीय पहलों को केंद्र सरकार की योजनाओं से जोड़ने में सहायक भूमिका निभाएगा। साथ ही, संबंधित हितधारकों के क्षमता निर्माण के लिए विशेष कार्यशालाओं का आयोजन भी करेगा, ताकि महिला सशक्तिकरण और सुरक्षा के क्षेत्र में ठोस और सतत परिणाम प्राप्त किए जा सकें। वहीं, सेतु आयोग परियोजनाओं की रणनीतिक रूपरेखा, संसाधनों के समन्वयन, निगरानी तथा राज्य सरकार की प्राथमिकताओं के अनुरूप दिशानिर्देश प्रदान करेगा। दोनों पक्षों द्वारा एक-एक नोडल अधिकारी नियुक्त किया जाएगा और एक संयुक्त संचालन समिति के माध्यम से कार्यक्रमों की नियमित त्रैमासिक समीक्षा की जाएगी।
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यह समझौता तीन वर्षों के लिए प्रभावी रहेगा, जिसे आवश्यकतानुसार आपसी सहमति से विस्तारित किया जा सकेगा। यह सहयोगात्मक पहल उत्तराखंड में महिला सशक्तिकरण को शासन व्यवस्था, नीति निर्माण एवं सामाजिक विकास के केंद्र में स्थापित करने की दिशा में एक सशक्त कदम है।