राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) की विशेष अदालत ने शुक्रवार को चंदन गुप्ता की हत्या के लिए दोषी ठहराए गए 28 लोगों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई। चंदन गुप्ता की हत्या 2018 में गणतंत्र दिवस पर तिरंगा यात्रा के दौरान उत्तर प्रदेश के कासगंज जिले में हुई सांप्रदायिक झड़प में हुई थी। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश विवेकानंद सरन त्रिपाठी द्वारा शुक्रवार को फैसला सुनाए जाने के बाद जिला सरकारी वकील मनोज त्रिपाठी ने कहा कि एनआईए अदालत ने चंदन गुप्ता हत्याकांड में सभी 28 आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है।
गुरुवार को विशेष अदालत ने 28 लोगों को हत्या और हत्या के प्रयास के साथ-साथ राष्ट्रीय सम्मान अपमान निवारण अधिनियम, 1971 सहित दंड संहिता की कई धाराओं के तहत दोषी ठहराया। मामले में दो अन्य आरोपियों नसीरुद्दीन और असीम कुरैशी को बरी कर दिया गया।
चंदन गुप्ता की हत्या 26 जनवरी, 2018 को कासगंज शहर में विश्व हिंदू परिषद (VHP), अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP), राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की छात्र शाखा सहित हिंदू दक्षिणपंथी संगठनों के सदस्यों के नेतृत्व में तिरंगा और भगवा झंडे के साथ बड़ी संख्या में मोटरसाइकिलों की एक रैली के दौरान की गई थी।
गणतंत्र दिवस के मद्देनजर प्रशासनिक प्रतिबंधों के बावजूद रैली मुस्लिम बहुल बद्दूनगर इलाके में घुस गई, जिससे सांप्रदायिक झड़पें भड़क उठीं। अराजकता के बीच, ABVP कार्यकर्ता की गोली मारकर हत्या कर दी गई, जिससे हिंसा और बढ़ गई, जिसमें कम से कम तीन दुकानें, दो बसें और एक कार को आग के हवाले कर दिया गया। अशांति के कारण जिला प्रशासन को सात दिनों के लिए कर्फ्यू लगाना पड़ा।
कासगंज से यह मामला एटा जिला न्यायालय और उसके बाद 2022 में एनआईए कोर्ट, लखनऊ में स्थानांतरित किया गया। दोषी ठहराए गए लोगों में सलीम, वसीम, नसीम, जाहिद/जग्गा, आसिक कुरैशी/हिटलर, असलम कुरैशी, अकरम, तौफीक, खिल्लन, शबाब, राहत, सलाम, मोहसिन, आसिफ जिमवाला, साकिब, बबलू, निशु, वसीफ, इमरान, शमशाद, जाफर, साकिर, खालिद परवेज, फैजान, इमरान कय्यूम, साकिर सिद्दीकी, मुनाजिर रफी और आमिर रफी शामिल हैं।
मामले की सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष ने 18 गवाह पेश किए और बचाव पक्ष ने 23 गवाह पेश किए। मामले में अभियोजन पक्ष के गवाह सौरभ पाल अपने बयान से पलट गए। इस बीच, सुप्रीम कोर्ट ने एक याचिका भी खारिज कर दी, जिसमें लखनऊ की विशेष अदालत द्वारा हत्या के मामले की सुनवाई करने के फैसले को चुनौती दी गई थी।