भारत ने वैश्विक इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण में अपनी स्थिति मजबूत की है, 2027 तक 90% value addition का लक्ष्य रखा है। नई घटक नीति और मेक इन इंडिया अभियान के तहत, भारत में इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादन में तेजी आई है, जिससे आयात में कमी और निर्यात में वृद्धि हुई है।
भारत वैश्विक विनिर्माण केंद्र के रूप में अपनी स्थिति मजबूत कर रहा है, इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण में value addition 30 प्रतिशत से बढ़कर लगभग 70 प्रतिशत हो गया है और अनुमान लगाया जा रहा है कि वित्त वर्ष 2027 तक यह 90 प्रतिशत तक पहुंत सकता है। नई घटक नीति के साथ, देश का लक्ष्य value addition को वर्तमान में 15 से 16 प्रतिशत से बढ़ाकर 40 से 50 प्रतिशत करना है। बता दें कि पिछले 10 वर्षों में स्मार्टफोन का निर्यात 77 गुना बढ़ा है। भारत ने पूरी तरह से निर्मित एयर कंडीशनर के आयात को वित्त वर्ष 2019 में 35 प्रतिशत से घटाकर वित्त वर्ष 2025 में सिर्फ 5 प्रतिशत कर दिया है। कंप्रेसर, कॉपर ट्यूब और एल्यूमीनियम कॉइल जैसे प्रमुख पार्टस अब भारत में ही बनाए जा रहे हैं।
इलेक्ट्रॉनिक्स का आयात
वित्त वर्ष 2024 में, लगभग 8.5 मिलियन RAC कंप्रेसर आयात किए गए थे। प्रिंटेड सर्किट बोर्ड असेंबली (PCBA) की मांग व्यापार और उपभोक्ता दोनों क्षेत्रों में बढ़ी है, जिसे उच्च आयात शुल्क से मदद मिली है। बता दें कि 2016 तक, भारत ने अपने उत्पादन से ज़्यादा इलेक्ट्रॉनिक्स का आयात किया। लेकिन अब मेक इन इंडिया अभियान की मदद से उत्पादन अब आयात से लगभग 24 प्रतिशत ज़्यादा है। वहीं इलेक्ट्रॉनिक्स निर्यात तेज़ी से बढ़ रहा है, वित्त वर्ष 2016 से वित्त वर्ष 2025 तक इसकी चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (CAGR) लगभग 26 प्रतिशत रही है।
PCBA का आयात
वित्त वर्ष 2018 में लगभग 300 बिलियन मूल्य के मोबाइल PCBA का आयात वित्त वर्ष 2024 में लगभग शून्य हो गया है। नई नीतियों के साथ भारत अब देश में ही ज़्यादा PCB और अन्य इलेक्ट्रॉनिक पार्टस बनाने की दिशा में आगे बढ़ रहा है। भारत तेज़ी से वैश्विक इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण और निर्यात के लिए एक शीर्ष विकल्प बन रहा है। निर्माताओं को आकर्षित करने के लिए, सरकार ने नई विनिर्माण इकाइयों के लिए कॉर्पोरेट कर की दर को घटाकर सिर्फ़ 15 प्रतिशत कर दिया है।
Smartphone के बढ़ते निर्यात से भारत का Electronics निर्यात नई ऊंचाई पर
दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मोबाइल फ़ोन उत्पादक
वैश्विक चीन की रणनीति और आसान निर्यात प्रक्रियाओं के साथ, भारत को अब वैश्विक कंपनियों के लिए एक मज़बूत विकल्प के रूप में देखा जा रहा है। भारत अब दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मोबाइल फ़ोन उत्पादक है। भारत में बिकने वाले लगभग 99 प्रतिशत फ़ोन स्थानीय स्तर पर बनाए जाते हैं।