विश्व अस्थमा डे के मौके पर लोगों को अस्थमा के शुरुआती लक्षणों और बचाव के उपायों के बारे में जागरूक किया जा रहा है। अस्थमा एक गंभीर बीमारी है जो समय पर इलाज न मिलने पर जानलेवा हो सकती है। यदि आपको सांस लेने में कठिनाई, सीने में जकड़न या खांसी जैसे लक्षण महसूस हों, तो तुरंत जांच कराएं।
हर वर्ष मई के पहले मंगलवार को वर्ल्ड अस्थमा डे मनाया जाता है। आज मंगलवार को विश्व अस्थमा डे मनाया जा रहा है। इस विशेष दिन का मकसद है लोगों को अस्थमा के बारे में जागरूक करना। इसके शुरुआती लक्षण और बचाव के बारे में लोगों को अवगत कराना। अस्थमा ऐसी बीमारी है जो धीरे-धीरे बढ़ती है। अगर समय रहते इसका बचाव नहीं किया जाए तो यह जानलेवा भी हो सकती है। ऐसे में आइए जानते है किन लक्षणों को देखकर सावधान हो जाना चाहिए और तुरंत जांच के लिए जाना चाहिए।
अस्थमा क्या है?
अस्थमा एक क्रॉनिक सांस की बीमारी है जिसमें फेफड़ों की नलियाँ संकरी हो जाती हैं और सांस लेना मुश्किल हो जाता है। ऐसा एलर्जी, प्रदूषण, मौसम या आनुवंशिक कारणों से हो सकता है। इसलिए इसके प्रति ज़्यादा सतर्क रहने की ज़रूरत है।
कैसे पहचाने इसके लक्षण
लगातार खांसी, खास तौर पर रात में या सुबह के समय।
सांस लेने में कठिनाई और घुटन महसूस होना।
छाती में दर्द, भारीपन महसूस होना।
थोड़ी दूर चलने पर तेजी से सांस लेना और हांफना।
लक्षण दिखें तो कराए ये जांच
स्पाइरोमेट्री टेस्ट : यह वह टेस्ट है जो फेफड़ों की कार्यक्षमता को जांचने वाला सबसे साधारण एक जांच होता है।
एलर्जी टेस्ट : इस टेस्ट से अस्थमा एलर्जी का ट्रिगर होना पता चलता है।
फेनो टेस्ट : इस टेस्ट से फेफड़ों के सूजन का माप किया जाता है। जो अस्थमा के संकेत हो सकता है।
इस बीमारी का इलाज
डॉक्टरों के अनुसार, अस्थमा का कोई पक्का इलाज नहीं है, लेकिन सही दवाओं और जीवनशैली से इसे नियंत्रित रखा जा सकता है। इनहेलर, नेबुलाइजर और एंटी-एलर्जिक दवाओं का आमतौर पर इस्तेमाल किया जाता है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि धूल, धुआं, पालतू जानवरों के बाल, ठंडी हवा और तेज परफ्यूम जैसी चीजों से बचें।
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