जिनेवा में मानवाधिकार रक्षकों ने भारत की प्रगति को सराहा - Punjab Kesari
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जिनेवा में मानवाधिकार रक्षकों ने भारत की प्रगति को सराहा

जिनेवा में भारत की प्रगति पर मानवाधिकार रक्षकों ने की सराहना

जिनेवा में मानवाधिकार परिषद के सत्र में भारत की प्रगति की सराहना की गई। वक्ताओं ने बुनियादी ढांचे, स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा और रोजगार में देश की उपलब्धियों पर जोर दिया। अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद जम्मू और कश्मीर में आए सकारात्मक बदलावों पर भी चर्चा हुई। कार्यक्रम ने भारत की मानवाधिकार प्रतिबद्धता और आर्थिक विकास को उजागर करते हुए भ्रामक आख्यानों का खंडन किया।

मंगलवार को जिनेवा में मानवाधिकार परिषद के 58वें सत्र के दौरान संयुक्त राष्ट्र में आयोजित एक कार्यक्रम में भारत के विभिन्न हिस्सों से आए मानवाधिकार रक्षकों ने कई क्षेत्रों में देश की उल्लेखनीय प्रगति की सराहना की। ईसीओ फॉन सोसाइटी द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में कुछ विदेशी एनजीओ द्वारा अक्सर भारत के बारे में फैलाई जाने वाली भ्रामक बातों का भी खंडन किया गया। डॉ. अरविंद कुमार, डॉ. एसएन शर्मा, डॉ. फैजा रिफत, सतीश कुमार धमोधरम, जावेद बेग, आश्मा शोरा, साई संपत मेट्टू, पूनम शर्मा और मोहम्मद शाह फैसल सहित वक्ताओं के एक प्रतिष्ठित `पैनल ने मानवाधिकारों, लोकतांत्रिक मूल्यों और समावेशी विकास के प्रति भारत की दृढ़ प्रतिबद्धता के बारे में तथ्य-आधारित जानकारी दी।

चर्चा के दौरान वक्ताओं ने बुनियादी ढांचे, स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा, पर्यटन, उद्योग और रोजगार में भारत की प्रगति पर प्रकाश डाला। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि देश का तेज़ आर्थिक विकास और शासन मॉडल सभी नागरिकों के लिए मौलिक अधिकारों और अवसरों को सुनिश्चित करते हुए सबसे तेज़ी से बढ़ती वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं में से एक के रूप में इसकी स्थिति को मजबूत करता है। कार्यक्रम का मुख्य फोकस अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद जम्मू और कश्मीर में आए बदलाव पर था।

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जावेद बेग, आश्मा शोरा और मोहम्मद शाह फैसल सहित पैनलिस्टों ने क्षेत्र की नई स्थिरता, आर्थिक पुनरुत्थान और बढ़ी हुई सुरक्षा पर चर्चा की। उन्होंने बुनियादी ढांचे में निवेश में वृद्धि, स्वास्थ्य सेवा और शिक्षा तक बेहतर पहुँच और पर्यटन में वृद्धि के पर्याप्त सबूत पेश किए, जो अक्सर ज़मीनी हकीकत को गलत तरीके से पेश करने वाले बाहरी आख्यानों का मुकाबला करते हैं। चर्चा ने इस बात पर जोर दिया कि कैसे जम्मू और कश्मीर के निवासी अब भारत के बाकी हिस्सों के समान अधिकारों और अवसरों का आनंद लेते हैं, जिससे एक अधिक एकीकृत और समृद्ध भविष्य को बढ़ावा मिलता है।

पैनल ने गलत सूचनाओं के खिलाफ भारत के लचीलेपन और मानवीय मूल्यों के प्रति उसकी अटूट प्रतिबद्धता पर भी बात की। कोविड-19 महामारी के प्रति भारत की मजबूत प्रतिक्रिया, प्रौद्योगिकी में प्रगति और वैश्विक शांति स्थापना तथा विकास पहलों में योगदान को इसके जिम्मेदार शासन के उदाहरण के रूप में रेखांकित किया गया। वक्ताओं ने अपने नागरिकों के उत्थान के लिए समर्पित एक विश्वसनीय वैश्विक भागीदार के रूप में भारत की भूमिका की सराहना की।

अंत में कार्यक्रम ने पुष्टि की कि बाहरी प्रचार और निराधार आरोपों के बावजूद भारत लगातार प्रगति कर रहा है। चर्चा में भारत के मजबूत शासन, मानवाधिकार प्रतिबद्धता और आर्थिक उपलब्धियों पर जोर दिया गया तथा देश की वास्तविकताओं पर अधिक संतुलित और तथ्य-आधारित वैश्विक चर्चा का आग्रह किया गया। सत्र में एक सूचित और रचनात्मक संवाद का आह्वान किया गया, जो भ्रामक आख्यानों पर निर्भर रहने के बजाय भारत की सफलताओं को स्वीकार करता है।

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