सनातन धर्म में होली का त्योहार बेहद खास होता है। बुराई पर अच्छाई की जीत का यह त्योहार बहुत धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन लोग अपने रिश्तों की खटास भूलकर एक दूसरे को रंग लगाते हैं और गुजिया खाते हैं। लेकिन कुछ लोग इस पवित्र त्योहार की आड़ में बदमाशी करते हैं। मिठाई पकवान खाकर घुल- मिलकर रहने के बजाय कुछ लोग शराब पीकर हंगामा करते हैं। प्रेमानंद महाराज ने होली को लेकर कुछ बातें बताई हैं कि होली के दिन शांति बनाए रखने के लिए क्या करना चाहिए और क्या नहीं।
प्रेमानंद महाराज के अनुसार इस दिन अपने घर के बड़े लोगों का आशीर्वाद लेना चाहिए और अपने रिश्तेदारों से अच्छे संबंध बनाने के लिए रंग लगाकर शुभकामनाएं देनी चाहिए। महाराज बताते हैं कि इस दिन कोई भी ऐसा काम नहीं करना चाहिए जिससे किसी दूसरे को तकलीफ पहुंचे।
होली के दिन लोगों को हुड़दंग करने का मौका मिल जाता है। कुछ लोग शराब पीकर दूसरो से लड़ाई झगड़े करते हैं। प्रेमानंद महाराज ने बताया कि होली के दिन भूलकर भी शराब का सेवन नहीं करना चाहिए।
होली के दिन घर में तरह-तरह के पकवान बनते हैं। गुजिया, पुआ और पकौड़ो से घर भरा रहता है, लेकिन फिर भी कुछ लोगों को मांस मछली खाने की इच्छा होती है। प्रेमानंद महाराज ने बताया कि इस दिन मांस का भी सेवन नहीं करना चाहिए। मांस खाने वाला जीव हत्या का भागिदारी बन जाता है।
होली के दिन सभी से मित्रता करनी चाहिए। हालांकि कुछ लोग रंग लगाने की आड़ में महिलाओं से बदतमीजी करते हैं। प्रेमानंद महाराज ने बताया कि होली के दिन महिलाओं को गंदी दृष्टि से नहीं देखना चाहिए। सबको अपनी माता बहन के रूप में देखना चाहिए।
होली के दिन भगवान का नाम लेकर इस त्योहार का आनंद लें और उत्सव मनाएं। होली के दिन ऐसा कोई भी काम नहीं करना चाहिए, जो हमारे सभ्यता, समाज और धर्म के खिलाफ हो। प्रेमानंद महाराज कहते हैं कि होली तभी सार्थक होगी जब आचरण, व्यवहार और चिंतन पवित्र होगा।
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