उत्तर प्रदेश विधानमंडल में इस समय बजट सत्र चल रहा है। इसमें भाग लेने पहुंचे समाजवादी पार्टी के अतरौलिया से विधायक डॉक्टर संग्राम सिंह यादव ने एक बार फिर सरकार पर सदन में चर्चा से भागने और विश्वविद्यालय में पीडीए की हकमारी का आरोप लगाया है।
विधायक संग्राम सिंह ने मंगलवार को मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि इस देश में बेरोजगारी और महंगाई बहुत बड़ी समस्या है। यूपी की विधानसभा चल रही है। बेरोजगारी कैसे दूर की जाए। किसानों की आय कैसे बढ़ाएं। यहां पर अंतर्राष्ट्रीय विश्वविद्यालय बने। अंतर्राष्ट्रीय मानक पर यूपी के लोगों को कैसे रोजगार दिया जाए। इन सब पर बहस होनी चाहिए। लेकिन सरकार लगातार बहस से भाग रही है।
उन्होंने कहा कि सदन में कहा था कि सरकार का नारा है सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास तो आखिर इतना बड़ा पीडीए समाज है। विवि की नियुक्ति में सरकार हकमारी का काम क्यों कर रही है। जितनी जिसकी संख्या भारी, उतनी उसकी हिस्सेदारी फॉर्मूले पर आखिर क्यों नहीं चल रही है। शिक्षा मंत्री के पास कोई जवाब नहीं था। लगातार विश्वविद्यालय में प्रोफेसर और असिस्टेंट प्रोफेसर की नियुक्ति पर भ्रष्टाचार व्याप्त हुआ। मुझे उम्मीद है कि आज मुख्यमंत्री जब बजट पर अपना पक्ष रखेंगे, तो इन वर्गों के लिए, किसान, नौजवान और महंगाई से झेलते हुए जो लोग हैं, उनके राहत की निश्चित तौर पर घोषणा करेंगे।
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सपा विधायक ने कहा कि भेदभाव किसी के साथ जाति और धर्म के आधार पर नहीं होना चाहिए। इसकी इजाजत संविधान भी नहीं देता। सरकारों को कतई भेदभाव नहीं करना चाहिए।
ज्ञात हो कि सोमवार को यूपी विधानसभा में समाजवादी पार्टी के सदस्यों ने विश्वविद्यालयों में कार्यपरिषद के चुनाव न कराए जाने तथा कुलपतियों की नियुक्तियों में पीडीए वर्ग के लोगों को प्रतिनिधित्व न दिए जाने के विरोध में सरकार के जवाब से असंतुष्ट होकर सदन से बहिर्गमन किया।
उच्च शिक्षा मंत्री योगेन्द्र उपाध्याय ने कहा कि विपक्ष के सदस्यों द्वारा जो आरोप लगाए गए हैं, वे निराधार हैं। कुलपतियों की नियुक्तियों कुलाधिपति द्वारा की जाती है। उनकी नियुक्तियों में पीडीए का प्रतिनिधित्व दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि कुलपतियों की नियुक्तियों में आरक्षण की कोई व्यवस्था नहीं है। उच्च शिक्षा मंत्री ने कहा कि कार्यपरिषद का चुनाव कराने के लिए पूर्व में लिखा जा चुका है।
हालांकि उच्च शिक्षा मंत्री के जवाब से असंतुष्ट होकर सरकार पर पीडीए विरोधी होने का आरोप लगाते हुए सदन से वॉकआउट किया गया।