उत्तर प्रदेश संस्कृति विभाग में फर्जीवाड़ा, इवेंट मैनेजर गिरफ्तार - Punjab Kesari
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उत्तर प्रदेश संस्कृति विभाग में फर्जीवाड़ा, इवेंट मैनेजर गिरफ्तार

कलाकारों की धनराशि में गड़बड़ी, इवेंट मैनेजर पर शिकंजा

उत्तर प्रदेश संस्कृति विभाग में फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ है। एसटीएफ ने इवेंट मैनेजर नील विजय सिंह को विभूतिखंड से गिरफ्तार किया। आरोप है कि उन्होंने कलाकारों को मिलने वाली राशि में हेरफेर की। जांच के दौरान पता चला कि भारत-नेपाल मैत्री महोत्सव में धनराशि में गड़बड़ी की गई थी।

उत्तर प्रदेश संस्कृति विभाग में आयोजनों में गड़बड़ी करने वाले इवेंट मैनेजर कानपुर के नील विजय सिंह को एसटीएफ ने विभूतिखंड से गिरफ्तार किया। उत्तर प्रदेश स्पेशल टास्क फोर्स ने बताया कि संस्कृति विभाग द्वारा कराए जाने वाले आयोजनों में कलाकारों को मिलने वाली राशि में हेरफेर करने वाले इवेंट मैनेजर नील विजय सिंह उर्फ शिवेन्द्र प्रताप सिंह को एसटीएफ ने मुख्यालय विभूतिखंड से गिरफ्तार किया है। जानकारी के अनुसार, मुख्यालय को शिकायती प्रार्थना-पत्र प्राप्त हुआ था, जिसमें संस्कृति विभाग द्वारा आयोजित भारत-नेपाल मैत्री महोत्सव में कलाकारों को मिलने वाली धनराशि में हेरफेर का आरोप लगाया गया था। प्रार्थना पत्र की जांच पुलिस उपाधीक्षक दीपक कुमार सिंह ने शुरू की। जांच के क्रम में पता चला कि राजकीय कोषागार, जवाहर भवन लखनऊ द्वारा 31 मार्च को शिकायतकर्ता को भुगतान किए गए बिल का विवरण उपलब्ध कराया गया। यह बिल संस्कृति विभाग से प्राप्त हुआ था।

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संस्कृति विभाग का यह बिल भारत-नेपाल मैत्री महोत्सव 2024-25 के कलाकारों के बिल के भुगतान से संबंधित है। 18 फरवरी 2025 को इवेंट मैनेजर नील विजय सिंह द्वारा शिकायतकर्ता को जनपद बहराईच में होने वाले भारत-नेपाल मैत्री महोत्सव 2024-25 में गायन के लिए आमंत्रित किया गया था। जिस पर शिकायतकर्ता द्वारा उक्त कार्यक्रम में भाग लिया गया। शिकायतकर्ता को इस कार्यक्रम के लिए रुपये 35,000 में बात तय हुई थी, लेकिन नील विजय सिंह द्वारा शिकायतकर्ता के खाते में 30 हजार ही डाले गए।

कुछ समय बाद शिकायतकर्ता को शेष पैसे का भुगतान करने हेतु नील विजय सिंह द्वारा कैंसिल चेक की मांग की गई। उन्होंने कैंसिल चेक देने के बाद 31 मार्च 2025 को उनके खाते में राजकीय कोषागार जवाहर भवन से 2,41,000 रुपए प्राप्त हुआ। जिसके कुछ देर बाद ही नील विजय सिंह द्वारा कॉल करके शिकायतकर्ता से उक्त पैसे की मांग की जाने लगी। इस बात पर शिकायतकर्ता ने उक्त धनराशि को यह कहकर मना कर दिया कि यह धनराशि राजकीय कोषागार से प्राप्त हुई है, जिसे खाते से निकालना संभव नहीं है।

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