एक अध्ययन के अनुसार, स्मार्टफोन का अधिक उपयोग करने वाली महिलाओं में सामाजिक चिंता अधिक पाई जाती है। यह अध्ययन ‘यूरोपियन साइकेट्रिक एसोसिएशन कांग्रेस 2025’ में प्रस्तुत किया गया, जिसमें बताया गया कि महिलाओं में स्मार्टफोन की लत मानसिक समस्याओं का कारण बन रही है। इस अध्ययन में 400 युवा शामिल थे, जिनमें से अधिकांश महिलाएं थीं।
रविवार को एक शोध टीम ने बताया कि स्मार्टफोन का ज्यादा इस्तेमाल करने वाली युवतियों में अन्य जेंडर्स की तुलना में सामाजिक चिंता (सोशल एंग्जायटी) ज्यादा पाई जाती है।
यह अध्ययन ‘यूरोपियन साइकेट्रिक एसोसिएशन कांग्रेस 2025’ में, मैड्रिड (स्पेन) में प्रस्तुत किया गया। इसमें बताया गया कि किस तरह जेंडर (लिंग) स्मार्टफोन की अधिकता और उस पर मानसिक या व्यवहारिक निर्भरता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। युवतियां विशेष रूप से ज़्यादा सामाजिक चिंता का शिकार होती हैं।
शोध में यह भी पाया गया कि जेंडर का सीधा संबंध इस बात से है कि व्यक्ति स्मार्टफोन पर कितना समय बिताता है और उसे ऑनलाइन दूसरों के द्वारा बुरा समझे जाने का कितना डर रहता है। रुमानिया के ‘जॉर्ज एमिल पालाडे यूनिवर्सिटी ऑफ मेडिसिन’ से प्रमुख शोधकर्ता डॉ. सिबी सैंडोर ने कहा, “यह नतीजे दिखाते हैं कि जेंडर के बीच बड़ा अंतर है और महिलाएं स्मार्टफोन के कारण मानसिक रूप से अधिक प्रभावित हो रही हैं।”
शोध में यह भी सामने आया कि सोशल मीडिया पर बातचीत की आदत, भावनाओं को समझने में कमी और दूसरों से मिलने वाला सहयोग, ये सब स्मार्टफोन की लत से प्रभावित हो सकते हैं। डॉ. सैंडोर ने कहा, “इन पहलुओं पर और शोध करना जरूरी है ताकि हम समझ सकें कि अलग-अलग जेंडर्स में यह व्यवहार क्यों होता है और किस तरह से उनकी मदद की जा सकती है।”
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इस अध्ययन में 400 युवा शामिल थे, जिनकी औसत उम्र लगभग 26 साल थी। इनमें 104 पुरुष, 293 महिलाएं और 3 अन्य जेंडर के लोग शामिल थे। हंगरी की एटोवोस लोरेन्ड यूनिवर्सिटी से शोध की सह-लेखिका नेहा पीरवानी ने कहा, “हमारे नतीजे पहले हुए अध्ययनों की पुष्टि करते हैं कि महिलाएं स्मार्टफोन की लत के कारण ज्यादा परेशान होती हैं, इसलिए उन्हें ज़्यादा ध्यान, मार्गदर्शन और मदद की जरूरत होती है।”
उन्होंने यह भी जोड़ा, “हम इस दिशा में और गहराई से काम कर रहे हैं ताकि युवा पीढ़ी में इसके कारण और असर को समझा जा सके और सही कदम उठाए जा सकें।” ईपीए के अध्यक्ष प्रोफेसर गीर्ट डॉम ने कहा कि जनरेशन जी के लगभग 100 प्रतिशत लोग स्मार्टफोन का इस्तेमाल करते हैं।
उन्होंने आगे बताया, “पहले से ही कई अध्ययनों में यह बात सामने आ चुकी है कि स्मार्टफोन और सोशल मीडिया का ज्यादा इस्तेमाल मानसिक परेशानी, खुद को नुकसान पहुंचाने की प्रवृत्ति और आत्महत्या जैसे खतरों से जुड़ा हुआ है।” प्रोफेसर डॉम ने यह भी कहा कि इस विषय पर और ज्यादा ध्यान देना जरूरी है, ताकि इसके नुकसान को समय रहते रोका जा सके।