इन हमलों की जिम्मेदारी बलूच लिबरेशन आर्मी (बीएलए) ने खुद ली है. संगठन के प्रवक्ता ने जानकारी दी कि उनके लड़ाकों ने नोशकी, कलात, मस्तुंग और क्वेटा में चार अलग-अलग स्थानों पर हमले किए.
Pakistan News: दुनियाभर में ईद के जश्न के बीच एक बड़ा झटका झेलना पड़ा. बलूच लिबरेशन आर्मी (बीएलए) ने बीते 24 घंटों के दौरान बलूचिस्तान के कई हिस्सों में एक के बाद एक हमले कर डाले. इन हमलों में 12 पाकिस्तानी सैनिकों और एक खुफिया एजेंट की जान गई है.
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, इन हमलों की जिम्मेदारी बलूच लिबरेशन आर्मी (बीएलए) ने खुद ली है. संगठन के प्रवक्ता ने जानकारी दी कि उनके लड़ाकों ने नोशकी, कलात, मस्तुंग और क्वेटा में चार अलग-अलग स्थानों पर हमले किए. इन हमलों में आईईडी धमाके, छोटे हथियारों से फायरिंग और ग्रेनेड का प्रयोग किया गया.
नोशकी में सैन्य वाहनों को बनाया निशाना
बीएलए के मुताबिक, नोशकी के दो सई इलाके में उनके लड़ाकों ने दो पाकिस्तानी सैन्य वाहनों को निशाना बनाया. हमले में भारी नुकसान होने का दावा किया गया है, हालांकि आधिकारिक पुष्टि अभी बाकी है. वहीं कलात जिले के मंगोचर क्षेत्र में एक कॉलेज परिसर में स्थित सेना की चौकी पर भी हमला हुआ. इस हमले में तीन सैनिकों की मौत और चार अन्य के घायल होने की सूचना दी गई है.
मस्तुंग और क्वेटा में भी हमले
मस्तुंग जिले में स्थित सीसीएम क्रॉस पर एक सैन्य चौकी पर ग्रेनेड से हमला किया गया, जिसमें तीन सैनिक घायल हो गए. वहीं क्वेटा के करानी रोड पर रहने वाले गुलजार नसीर देहवार की हत्या की जिम्मेदारी भी बीएलए ने ली है. संगठन ने उसे पाकिस्तानी सेना का खुफिया एजेंट बताया है.
पाकिस्तानी सेना से बदले की कार्रवाई
बीएलए ने बयान जारी कर कहा कि ये हमले पाकिस्तानी सेना द्वारा बलूच नागरिकों पर किए जा रहे अत्याचारों का प्रतिशोध हैं. संगठन का दावा है कि पाक सेना बलूचिस्तान में मानवाधिकारों का उल्लंघन कर रही है.
बता दें कि बीते कुछ महीनों में बलूचिस्तान में अलगाववादी गतिविधियों में तेजी देखी गई है. मार्च में जाफर एक्सप्रेस पर किया गया हमला और उसके कुछ दिन बाद सेना की बस को उड़ाया जाना, इसी बढ़ती अशांति का परिणाम है. उस हमले में BLA ने 90 सैनिकों की मौत का दावा किया था.
पाकिस्तान के लिए बढ़ती चुनौती
बीएलए की बढ़ती गतिविधियों ने पाकिस्तान सरकार और सेना के लिए बड़ी चिंता पैदा कर दी है. बलूचिस्तान में लगातार हो रहे हमलों से साफ है कि अलगाववादी आंदोलन अब केवल विरोध तक सीमित नहीं रहा, बल्कि यह सशस्त्र संघर्ष में बदल चुका है.
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