28 साल बाद सरला मिश्रा मर्डर केस की फाइल फिर से खुलेगी। भोपाल कोर्ट के आदेश पर पुलिस को दोबारा जांच करने के निर्देश दिए गए हैं। इस मामले में कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह पर गंभीर आरोप लगे हैं, जिससे उनकी मुश्किलें बढ़ सकती हैं।
मध्य प्रदेश के राजनीतिक इतिहास के सबसे चर्चित मामलों में से एक कांग्रेस नेता सरला मिश्रा की मौत का मामला 28 साल बाद फिर से खुलने जा रहा है। 1997 में भोपाल स्थित अपने सरकारी आवास में जलने से उनकी मौत हो गई थी। इस मामले में सरला मिश्रा के भाई ने एमपी के पूर्व मुख्यमंत्री और राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह पर गंभीर आरोप लगाए हैं। ऐसे में उनकी मुश्किलें बढ़ सकती हैं। भोपाल कोर्ट के आदेश के बाद सरला मिश्रा की मौत का मामला फिर से खुलने जा रहा है। दरअसल, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह कानूनी पचड़े में पड़ सकते हैं, क्योंकि 28 साल पुराने कांग्रेस नेता सरला मिश्रा की मौत के मामले की फाइल फिर से खुलने जा रही है।
साल 2000 में पुलिस ने इस केस को बंद कर दिया था, लेकिन अब भोपाल जिला कोर्ट ने इसकी फिर से जांच करने के आदेश दिए हैं। इस मामले में सरला मिश्रा के भाई ने दिग्विजय सिंह पर गंभीर आरोप लगाए हैं, जिसके चलते यह मामला फिर से सुर्खियों में आ गया है। पुलिस ने इसे आत्महत्या बताया था। बता दें कि वर्ष 2000 में पुलिस ने इस केस को बंद कर दिया था। पुलिस जांच में सरला मिश्रा की मौत को आत्महत्या बताया गया था। लेकिन अब कोर्ट ने माना है कि पुलिस जांच सही तरीके से नहीं की गई और पुलिस को दोबारा जांच कर रिपोर्ट पेश करने के आदेश दिए गए हैं। भोपाल के टीटी नगर थाने ने इस केस की जांच की थी।
परिवार का आरोप
सरला मिश्रा के भाई अनुराग मिश्रा ने कोर्ट में याचिका दायर कर पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह और उनके भाई लक्ष्मण सिंह पर गंभीर आरोप लगाए थे। उनका कहना है कि राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता के चलते उनकी बहन की हत्या को आत्महत्या का रूप दिया गया। केस दोबारा खुलने के बाद अनुराग मिश्रा ने कहा, “अब हमें उम्मीद है कि हमें न्याय मिलेगा।”
जानिए पूरा मामला
बता दें कि मध्य प्रदेश के राजनीतिक इतिहास में सबसे चर्चित केस सरला मिश्रा की मौत का रहा है। 1997 में सरला मिश्रा की भोपाल स्थित उनके सरकारी आवास में आग लगने से मौत हो गई थी। उन्हें पहले इलाज के लिए हमीदिया अस्पताल में भर्ती कराया गया था। लेकिन उसकी हालत इतनी खराब थी कि उसे दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में रेफर कर दिया गया, जहां 19 फरवरी को उसकी मौत हो गई। उस समय इस मामले ने प्रदेश की राजनीति में भूचाल ला दिया था। पुलिस ने 27 मार्च 2000 को क्लोजर रिपोर्ट पेश की थी, जिसमें सरला के कथित बयान के आधार पर इसे आत्महत्या करार दिया गया था।
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