बांग्लादेश में अस्थिरता के बीच मोहम्मद यूनुस पर इस्तीफा देने का दबाव बढ़ रहा है। सेना प्रमुख ने दिसंबर तक चुनाव कराने की चेतावनी दी है, जिससे राजनीतिक संकट गहरा गया है।
Bangladesh News: बांग्लादेश इस समय गहरे राजनीतिक संकट से गुजर रहा है. अंतरिम सरकार के प्रमुख और नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस पर इस्तीफा देने का दबाव बढ़ता जा रहा है. देश में बढ़ते विरोध और अस्थिरता के बीच खबरें हैं कि यूनुस खुद भी पद छोड़ने पर विचार कर रहे हैं.
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, स्थिति की गंभीरता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि बांग्लादेश के सेना प्रमुख जनरल वकर-उज-जमान ने स्पष्ट रूप से यूनुस को चेतावनी दी है कि देश में इस वर्ष दिसंबर तक चुनाव कराए जाएं. उन्होंने यह भी कहा कि कोई भी कदम राष्ट्रीय हित और राजनीतिक सहमति से निर्देशित होना चाहिए. सेना की इस सख्त चेतावनी को यूनुस सरकार के लिए एक अल्टीमेटम के रूप में देखा जा रहा है.
यूनुस पर भारत विरोधी रुख और हिंसा का आरोप
शेख हसीना की सत्ता से बेदखली के बाद बनी अंतरिम सरकार के प्रमुख यूनुस पर भारत विरोधी गतिविधियों में शामिल होने और हिंदू अल्पसंख्यकों पर हो रही हिंसा को रोकने में विफल रहने के आरोप लग रहे हैं. भारत ने इस पर कड़ा विरोध जताया है. यह संकट ऐसे समय में गहराया है जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की मुलाकात को कुछ ही महीने हुए हैं.
अमेरिका की प्रतिक्रिया और मोदी-ट्रंप वार्ता
दरअसल, इस साल फरवरी 2025 में प्रधानमंत्री मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप की मुलाकात के दौरान बांग्लादेश के हालात पर चर्चा हुई थी. ट्रंप ने इस मुद्दे पर अमेरिका की किसी प्रत्यक्ष भूमिका से इंकार किया था और कहा था कि यह मामला भारत की प्राथमिकता है.
उन्होंने कहा था, “हमारे डीप स्टेट की इसमें कोई भूमिका नहीं है. मैं बांग्लादेश को पीएम मोदी पर छोड़ता हूं.” वहीं ट्रंप द्वारा भारत को खुली छूट दिए जाने के बाद बांग्लादेश की यूनुस सरकार के हालात 3 महीने में ही बिगड़ते नजर आ रहे हैं.
यूनुस के इस्तीफे की खबरें कहां से शुरू हुईं?
मीडिया को दिए गए एक इंटरव्यू में नेशनल सिटिजन पार्टी (एनसीपी) के प्रमुख निद इस्लाम ने बताया कि यूनुस के इस्तीफे की चर्चा 22 मई की सुबह से शुरू हुई. इस्लाम ने कहा कि यूनुस को लगता है कि मौजूदा हालात में बिना राजनीतिक सहमति के वह काम नहीं कर सकते. एनसीपी प्रमुख ने स्पष्ट रूप से कहा कि अगर यूनुस जिम्मेदारी नहीं निभा पा रहे हैं, तो उनका पद पर बने रहना व्यर्थ है.
सेना की भूमिका और भविष्य की चिंता
बांग्लादेश की मौजूदा अस्थिरता में सेना की भूमिका महत्वपूर्ण रही है. शेख हसीना सरकार को हटाने में भी सेना का समर्थन बताया गया था. अब वही सेना यूनुस सरकार को भी कठोर संदेश दे रही है कि वह मनमानी नहीं कर सकते और राष्ट्रीय हित सर्वोपरि होना चाहिए.
शेख हसीना की विदाई और भारत-बांग्लादेश में खटास
अगस्त 2024 में बांग्लादेश में छात्र आंदोलनों और हिंसक प्रदर्शनों के चलते प्रधानमंत्री शेख हसीना को देश छोड़ना पड़ा. इन प्रदर्शनों में 600 से अधिक लोग मारे गए.. इसके बाद हसीना ने भारत में शरण ली और यूनुस के नेतृत्व में एक अंतरिम सरकार का गठन हुआ. इसके बाद से भारत और बांग्लादेश के रिश्तों में लगातार खटास बढ़ती गई.