कथित अपराधों के संबंध में गिरफ्तारी वारंट
जुलाई-अगस्त के विद्रोह के दौरान मानवता के खिलाफ कथित अपराधों के संबंध में गिरफ्तारी वारंट जारी किया गया है। आईसीटी के अध्यक्ष न्यायमूर्ति मोहम्मद गुलाम मुर्तुजा मजूमदार के नेतृत्व में, आदेश पारित किए गए। मुख्य अभियोजक मुहम्मद ताजुल इस्लाम ने द डेली स्टार को बताया कि अभियोजन पक्ष द्वारा न्यायाधिकरण में दो याचिकाएँ दायर करने के बाद यह निर्णय लिया गया है, जिसमें उनके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट की मांग की गई है।न्यायाधिकरण ने संबंधित अधिकारियों को हसीना और 45 अन्य को 18 नवंबर तक गिरफ्तार करने के बाद उसके समक्ष पेश करने का भी आदेश दिया है। उल्लेखनीय है कि न्यायाधिकरण के सूत्रों के अनुसार, पूर्व मंत्री ओबैदुल कादर, असदुज्जमां खान कमाल, हसन महमूद और अनीसुल हक 46 में शामिल हैं।
अपराध और नरसंहार की 60 से अधिक शिकायतें
पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना और उनकी पार्टी के कई सदस्यों के खिलाफ मानवता के खिलाफ अपराध और नरसंहार की 60 से अधिक शिकायतें आईसीटी जांच एजेंसी के पास दर्ज की गई हैं। डेली स्टार की रिपोर्ट के अनुसार जांच एजेंसी और अभियोजन पक्ष की टीम ने शिकायतों की जांच शुरू कर दी है। सरकार ने अंतरराष्ट्रीय अपराध (न्यायाधिकरण) अधिनियम-1973 में संशोधन के लिए एक मसौदा भी तैयार किया है।ढाका ट्रिब्यून के अनुसार, न्यायाधिकरण के मुख्य अभियोजक एडवोकेट ताजुल इस्लाम ने मीडिया को जानकारी दी कि उन्होंने यह भी कहा कि हसीना सहित विदेश में मौजूद भगोड़ों को वापस लाने के लिए इंटरपोल की सहायता ली जाएगी।
बांग्लादेश में हसीना के खिलाफ कई मामले
इससे पहले 31 अगस्त को बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के विदेश मामलों के सलाहकार मोहम्मद तौहीद हुसैन ने कहा था कि शेख हसीना के खिलाफ बढ़ते मामलों के कारण उनका देश पूर्व प्रधानमंत्री के प्रत्यर्पण की मांग पर विचार कर सकता है, लेकिन इससे भारत सरकार के लिए शर्मनाक स्थिति पैदा होगी। ढाका में रॉयटर्स टीवी को दिए एक विशेष साक्षात्कार में हुसैन ने कहा कि चूंकि बांग्लादेश में हसीना के खिलाफ बहुत सारे मामले हैं इसलिए देश के गृह और कानून मंत्रालय उनके प्रत्यर्पण का अनुरोध कर सकते हैं।
शेख हसीना ने 5 अगस्त को प्रधानमंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया था
विवादास्पद सरकारी नौकरी कोटा प्रणाली के खिलाफ बढ़ते विरोध के बाद शेख हसीना ने 5 अगस्त को प्रधानमंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया था और एक सैन्य विमान से भारत भाग गई थीं, जिसके कारण व्यापक सरकार विरोधी प्रदर्शन हुए थे। हसीना के इस्तीफे के बाद, नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व में बांग्लादेश में एक कार्यवाहक सरकार का गठन किया गया था।