ब्रिटेन में 30 देशों के सैन्य प्रमुखों की बैठक में यूक्रेन की रक्षा के लिए रणनीति पर चर्चा हुई। ब्रिटिश प्रधानमंत्री कीर स्टारमर ने कहा कि सुरक्षा व्यवस्था का उद्देश्य रूस को स्पष्ट संदेश देना है कि समझौते का उल्लंघन गंभीर परिणाम लाएगा। अमेरिका की भागीदारी जरूरी है, हालांकि ट्रंप सरकार ने यूक्रेन के समर्थन से खुद को अलग कर लिया है।
अमेरिका में ट्रंप सरकार बनने के बाद रूस- यूक्रेन युद्ध की तस्वीर बिल्कुल बदल चुकी है। पहले अमेरिका समेत पूरा यूरोप यूक्रेन के समर्थन में खड़ा रहता था, लेकिन अब राष्ट्रपति ट्रंप ने खुद को यूक्रेन के पाले से अलग कर लिया है। वहीं ब्रिटेन समेत बाकी यूरोपीय देश यूक्रेन को पूरा समर्थन दे रहे हैं। ब्रिटेन में लगभग 30 देशों के सैन्य प्रमुख इस बात पर चर्चा करने के लिए एकत्र हुए कि तथाकथित “इच्छुक लोगों का गठबंधन” भविष्य में यूक्रेन की रक्षा के लिए कैसे काम करना चाहिए।
यूक्रेन के साथ खड़े ब्रिटेन और फ्रांस
यह बैठक लंदन के पास नॉर्थवुड सैन्य अड्डे पर हुई। बैठक में ब्रिटिश प्रधानमंत्री कीर स्टारमर ने कहा, “हर कोई शांति चाहता है, खासकर यूक्रेन के लोग, लेकिन यह तभी स्थायी होगी जब यह सुनिश्चित करने के लिए एक सुरक्षा प्रणाली होगी कि अगर कोई समझौता होता है, तो वह एक सुरक्षित समझौता हो।”
स्टारमर ने कहा कि पिछली बैठकों में इस बात पर सहमति बनी थी कि “हमें मिलकर यह सुनिश्चित करना होगा कि किसी भी समझौते की रक्षा की जा सके।” अब यह राजनीतिक विचार एक ठोस योजना में तब्दील हो रहा है, चाहे वह समुद्र, हवा या जमीन से संबंधित हो। ब्रिटेन और फ्रांस ने मिलकर यूक्रेन के लिए पश्चिमी समर्थन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
समझौते का उल्लंघन करने पर गंभीर होंगे परिणाम
ब्रिटिश प्रधानमंत्री ने कहा कि इन सुरक्षा व्यवस्थाओं का उद्देश्य रूस को यह स्पष्ट संदेश देना है कि किसी भी समझौते का उल्लंघन गंभीर परिणाम लाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि इस काम में अमेरिका की भागीदारी जरूरी होगी। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार इस बैठक में फ्रांस, पोलैंड, नीदरलैंड, रोमानिया, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका जैसे देश शामिल थे। हालांकि, अमेरिका ने अभी तक यूक्रेन में किसी भी पश्चिमी सैन्य उपस्थिति का समर्थन करने की प्रतिबद्धता नहीं जताई है।
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