16 मुस्लिम देश साथ, फिर भी इजराइल के सामने कमजोर पड़ रहा ईरान! आखिर क्या है मजबूरी? - Punjab Kesari
Girl in a jacket

16 मुस्लिम देश साथ, फिर भी इजराइल के सामने कमजोर पड़ रहा ईरान! आखिर क्या है मजबूरी?

इजराइल के सामने आखिर क्यों कमजोर पड़ रहा ईरान?

मिडिल ईस्ट के देशों में इस्लाम के दो प्रमुख फिरकों, शिया और सुन्नी के बीच लंबे समय से वैचारिक और राजनीतिक मतभेद रहे हैं. ईरान खुद को शिया मुसलमानों का प्रमुख संरक्षक मानता है, वहीं सऊदी अरब और तुर्की जैसे देश सुन्नी इस्लाम को बढ़ावा देते हैं.

Middle East Conflict: मिडिल ईस्ट एक बार फिर संकट के मुहाने पर खड़ा है. ईरान और इज़राइल के बीच जारी टकराव धीरे-धीरे व्यापक संघर्ष में बदलता जा रहा है. हैरानी की बात यह है कि क्षेत्र में मौजूद कई ताकतवर मुस्लिम देश इस मुद्दे पर ईरान के समर्थन में खुलकर सामने नहीं आ रहे. जबकि इज़राइल यहूदी राष्ट्र होने के बावजूद लगातार हमलावर रुख अपनाए हुए है. आइए जानते हैं क्या इसके पीछे की वजह?

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, दरअसल, मिडिल ईस्ट के देशों में इस्लाम के दो प्रमुख फिरकों, शिया और सुन्नी के बीच लंबे समय से वैचारिक और राजनीतिक मतभेद रहे हैं. ईरान खुद को शिया मुसलमानों का प्रमुख संरक्षक मानता है, वहीं सऊदी अरब और तुर्की जैसे देश सुन्नी इस्लाम को बढ़ावा देते हैं. इस वैचारिक विभाजन ने ही कई देशों को ईरान से दूरी बनाकर रखने को मजबूर किया है. इसके पीछे की वजह इन देशों की आपसी प्रतिद्वंद्विता भी है. दरअसल मिडिल ईस्ट में सभी मुस्लिम देश आपस में उलझे पड़े हैं. इनमें से कई प्रॉक्सी वॉर से तो कई सिविल वॉर से परेशान है.

मिडिल ईस्ट के मुस्लिम देश

मिडिल ईस्ट में इराक, सीरिया, लेबनान, जॉर्डन, फिलिस्तीन, कुवैत, कतर, अजरबैजान, बहरीन, संयुक्त अरब अमीरात, ओमान, यमन, मिस्र और लीबिया जैसे मुस्लिम देश हैं. इनमें ज्यादातर सुन्नी मुस्लिम देश हैं, तो इराक, बहरीन, यमन, लेबनान शिया और सुन्नी मिश्रित हैं.

1. सऊदी अरब बनाम ईरान

ईरान और सऊदी अरब के बीच वर्चस्व की जंग दशकों पुरानी है. 1979 में ईरान में इस्लामी क्रांति के बाद से ही यह संघर्ष और तेज हो गया. दोनों देश लेबनान, सीरिया और यमन जैसे देशों में अलग-अलग गुटों को समर्थन देकर एक-दूसरे के खिलाफ अप्रत्यक्ष युद्ध (प्रॉक्सी वॉर) लड़ते आ रहे हैं.

2. यमन और सीरिया का संकट

यमन में ईरान समर्थित शिया हूती विद्रोहियों और सऊदी समर्थित सरकार के बीच गृहयुद्ध चल रहा है. इसी तरह, सीरिया में ईरान ने असद सरकार और हिज़्बुल्लाह का साथ दिया, जबकि सऊदी अरब और तुर्की ने विद्रोही गुटों को समर्थन दिया.

3. इराक, लेबनान और बहरीन में तनाव

इराक में शिया बहुल सरकार है लेकिन ISIS जैसे सुन्नी गुट उसका विरोध करते हैं. लेबनान में हिज़्बुल्लाह (शिया संगठन) और सुन्नी दलों में तनाव है. वहीं, बहरीन में शासक परिवार सुन्नी है जबकि बड़ी आबादी शिया है. यहां भी ईरान और सऊदी अरब के प्रभाव की सीधी टक्कर है.

Middle East Conflict:

ईरान को चेतावनी देने के दौरान खुद ही झटका खा बैठे ट्रंप, इराक में अमेरिकी बेस पर हो गया अटैक

ईरान के विरोध में मुस्लिम देश

सऊदी अरब: खुद को सुन्नी इस्लाम का रक्षक मानता है और ईरान के शिया विस्तारवाद से खतरा महसूस करता है.

बहरीन: 2011 के विद्रोह के बाद से ईरान पर विद्रोह भड़काने का आरोप है.

यूएई: यमन में ईरान समर्थित हूतियों के खिलाफ सऊदी के साथ मिलकर कार्रवाई कर चुका है.

कुवैत: यहां शिया अल्पसंख्यक हैं, और ईरान का राजनीतिक हस्तक्षेप असहजता पैदा करता है.

जॉर्डन: प्रत्यक्ष विरोध नहीं है, पर ईरान की नीतियों को संदेह की नजर से देखता है.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

19 − two =

Girl in a jacket
पंजाब केसरी एक हिंदी भाषा का समाचार पत्र है जो भारत में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली के कई केंद्रों से प्रकाशित होता है।