रोबोट : गुरुवार को एक नए अध्ययन ने यह साबित कर दिया कि जेनरेटिव एआई और अन्य उभरती तकनीकें भी झूठ बोल सकती हैं और धोखा दे सकती हैं, जो यूजर्स के साथ हेरफेर करने का एक नया तरीका पेश करती हैं। अमेरिका में जॉर्ज मेसन यूनिवर्सिटी की टीम द्वारा किए गए इस शोध का उद्देश्य यह समझना था कि कैसे इन नई तकनीकों का उपयोग नैतिकता के संदर्भ में किया जा सकता है और यह तकनीक यूजर्स के विचारों को कैसे प्रभावित कर सकती है।
Highlight :
- जेनरेटिव एआई और अन्य उभरती तकनीकें भी झूठ बोल सकती हैं
- यूजर्स के साथ हेरफेर करने का एक नया तरीका पेश
- तकनीक यूजर्स के विचारों को प्रभावित कर सकती है
इंसानों की तरह झूठ बोल सकता है रोबोट
अध्ययन में लगभग 500 प्रतिभागियों ने भाग लिया और उन्हें रोबोट के धोखे के विभिन्न रूपों को रैंक करने के लिए कहा गया। शोधकर्ताओं ने जानने की कोशिश की कि लोग किस प्रकार के धोखे को सहन कर सकते हैं और कैसे रोबोट के झूठे व्यवहार को समझ सकते हैं। जॉर्ज मेसन यूनिवर्सिटी में डॉक्टरेट कैंडिडेट और अध्ययन के मुख्य लेखक एंड्रेस रोसेरो ने टिप्पणी की, “हमें किसी भी ऐसी तकनीक के बारे में चिंतित होना चाहिए जो अपनी क्षमताओं की वास्तविक प्रकृति को छिपा सकती है। इससे यूजर्स के विचारों को बदलने का खतरा हो सकता है, जो मूल उद्देश्य के विपरीत हो सकता है।”
यूजर्स के साथ हेरफेर करने का एक नया तरीका
रोसेरो ने आगे कहा, “हमने पहले ही देखा है कि वेब डिजाइन सिद्धांतों और एआई चैटबॉट्स का उपयोग कैसे किया जा रहा है, जहां कंपनियां यूजर्स को एक विशिष्ट कार्य के लिए हेरफेर करने की कोशिश कर रही हैं। यह महत्वपूर्ण है कि हम इन हानिकारक धोखे से बचने के लिए उचित विनियमन लागू करें।” इस अध्ययन के परिणाम यह संकेत देते हैं कि तकनीकी कंपनियों और डेवलपर्स को अपने उत्पादों की नैतिक जिम्मेदारी को गंभीरता से लेना चाहिए और ऐसे सिस्टम डिजाइन करने चाहिए जो यूजर्स को धोखा देने के बजाय उन्हें सटीक और पारदर्शी जानकारी प्रदान करें।
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