हम चाहते हैं भारत राष्ट्रमंडल खेल 2022 में हिस्सा ले : सीजीएफ अधिकारी - Punjab Kesari
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हम चाहते हैं भारत राष्ट्रमंडल खेल 2022 में हिस्सा ले : सीजीएफ अधिकारी

प्रदर्शन करने पर हर बार नियमों में बदलाव की कोशिश की जाती है । उन्होंने यह भी कहा

राष्ट्रमंडल खेल महासंघ (सीजीएफ) ने रविवार को कहा कि वे चाहते हैं कि भारत 2022 बर्मिंघम राष्ट्रमंडल खेलों में हिस्सा ले। भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) ने राष्ट्रमंडल खेलों से निशानेबाजी को हटाने पर इन खेलों के बहिष्कार का प्रस्ताव सरकार के पास भेजा है जिसके बाद सीजीएफ ने यह प्रतिक्रिया दी। 
सीजीएफ ने कहा कि वे निकट भविष्य में आईओए अधिकारियों से मिलना चाहते हैं जिससे कि चिंताओं का हल निकाला जा सके। 
सीजीएफ के मीडिया एवं कम्यूनिकेशन मैनेजर टास डीगन ने पीटीआई को ईमेल पर दिए जवाब में कहा, ‘‘हम चाहते हैं कि भारत 2022 बर्मिंघम खेलों में हिस्सा ले और आगामी महीनों में भारत में अपने साथियों के साथ बैठक को लेकर उत्सुक हैं जिससे कि उनकी चिंताओं और भविष्य की योजनाओं पर चर्चा हो सके।’’ 
आईओए अध्यक्ष नरिंदर बत्रा ने अभूतपूर्व कदम उठाते हुए शनिवार को खेल मंत्री कीरेन रीजीजू को पत्र लिखकर बर्मिंघम 2022 राष्ट्रमंडल खेलों से निशानेबाजी को हटाने पर इन खेलों के बहिष्कार का प्रस्ताव रखा था और सरकार से स्वीकृति मांगी थी। 
इससे पहले आईओए ने निशानेबाजी को हटाए जाने के विरोध में सीजीएफ की आम सभा से नाम वापिस ले लिया था जो सितंबर में रवांडा में होनी है । आईओए ने साथी ही क्षेत्रीय उपाध्यक्ष पद के लिये राजीव मेहता और खेल समिति के सदस्य के रूप में नामदेव शिरगांवकर के नाम भी वापिस ले लिये थे । 
सीजीएफ अधिकारी ने कहा, ‘‘स्वाभाविक रूप से हम निराश हैं कि भारत में हमारे साथियों ने रवांडा में 2019 सीजीएफ आम सभा में अन्य राष्ट्रमंडल देशों और क्षे त्रों के साथ नहीं आने का फैसला किया है, विशेषकर इसलिए क्योंकि यहां पर राष्ट्रमंडल खेल अभियान की भविष्य की रणनीतिक दिशा पर चर्चा होगी और हमारे 71 सदस्य इसे स्वीकृति देंगे।’’ 
बत्रा ने 2022 खेलों के बहिष्कार का प्रस्ताव रखते हुए ‘भारत विरोधी मानसिकता’ के लिये सीजीएफ की आलोचना की । उन्होंने यह भी कहा कि भारत के अच्छा प्रदर्शन करने पर हर बार नियमों में बदलाव की कोशिश की जाती है । उन्होंने यह भी कहा कि भारत किसी भी देश का उपनिवेश नहीं है । 
आईओए प्रमुख ने पत्र में लिखा ,‘‘हम काफी समय से देख रहे हैं कि भारत जब भी खेलों पर पकड़ बनाने लगता है और अच्छा प्रदर्शन करने लगता है, तब नियमों में बदलाव की कोशिश की जाती है । हमें लगता है कि समय आ गया है कि हम आईओए/भारत में शामिल लोग कड़े सवाल पूछने शुरू करें और कड़ा रवैया अपनाएं।’’ 
भाषा सुधीर नमिता 

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