नई दिल्ली : अजरबेजान और कतर में आयोजित होने वाले विश्व कप जिमनास्टिक चैंपियनशिप के लिए भारतीय जिमनास्टों को भारतीय खेल प्राधिकरण की हरी झंडी का इंतजार था और फिलहाल जानी मानी जिमनास्ट दीपा कर्माकर को ही हरी झंडी मिल पाई है।भारतीय जिमनास्टिक फेडरेशन (जीएफआई) द्वारा चुने गये इन खिलाड़ियों मे रियो ओलंपिक मे चौथा स्थान पाने वाली दीपा, योगेश्वर सिंह और आशीष कुमार जैसे नाम शामिल हैं। लेकिन साई ने पुरुष खिलाड़ियों को फिर से ट्रायल देने के लिए कहा है।
आयोजन क्रमशः 14 से 17 और 20 से 23 मार्च तक होने हैं। महत्वपूर्ण बात यह है कि विश्व चैंपियनशिप को ओलंपिक क्वालीफायर का दर्जा प्राप्त है अर्थात भारतीय जिमनास्टों के लिए सुनहरी मौका है। लेकिन आरोप लगाया जा रहा है कि खेल प्राधिकरण मामले को गंभीरता से नहीं ले रहा। मीडिया की कुछ रिपोर्ट पर गौर करें तो साई को सारे फ़साद की जड़ बताया जा रहा है।ख़ासकर, उसके प्रॉजेक्ट अधिकारी राजिंदर पठानिया पर आरोप लगाया गया है कि पठानिया जानबूझकर फाइल लटका रहे है।
इस बारे मे जब उनसे पूछा गया तो उन्होने कुछ भी बोलने से इनकार किया, इतना ज़रूर कहा कि वह खुद जिम्नास्ट और कोच रहे हैं और खिलाड़ियों का कदापि अहित नहीं चाहते। लेकिन जब इस संवाददाता ने फेडरेशन और आईओए के कुछ अधिकारियों से जानना चाहा तो असली कारण यह सामने आया कि जीएफआई की गुटबाजी सारे फ़साद की जड़ है। एक पूर्व पदाधिकारी के अनुसार 2011 से दो धड़े खेल पर अपनी अपनी चौधराहट जतला रहे हैं।
(राजेन्द्र सजवान)