नई दिल्ली : बीसीसीआई के नव नियुक्त कोषाध्यक्ष अरूण धूमल के लिए अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) की नीतियों के निर्धारण में भारत की भूमिका नहीं होना चिंता की बड़ी बात है। उन्होंने साथ ही भारत की अहम भूमिका नहीं होने पर वैश्विक संस्था की प्रासंगिकता पर सवाल भी उठाए। नए अध्यक्ष और पूर्व दिग्गज क्रिकेटर सौरव गांगुली की अगुआई में नए प्रशासकों के पदभार संभालने के बाद धूमल ने अपनी प्राथमिकताओं पर बात की जिसमें बीसीसीआई के दुनिया का सबसे अमीर बोर्ड होने के बावजूद बोर्ड के राजस्व में इजाफा करना शामिल है।
आईसीसी के संचालन की रूप रेखा तैयार करने के लिए नवनियुक्त कार्य समूह से भारत की गैरमौजूदगी के संदर्भ में धूमल ने कहा कि क्या हमने कभी कल्पना की थी कि आईसीसी के खाके के निर्धारण में बीसीसीआई का कोई मत नहीं होगा। कभी इसकी कल्पना नहीं की गई थी। बीसीसीआई के बिना आईसीसी क्या है? उन्होंने साथ ही स्पष्ट कर दिया कि जहां तक 2023-2031 के भविष्य दौरा कार्यक्रम का सवाल है तो वे आईसीसी के साथ नहीं हैं। नए प्रस्ताव में प्रत्येक वर्ष विश्व टी20 और प्रत्येक तीन साल में एकदिवसीय विश्व कप के आयोजन का प्रावधान है।
माना जा रहा है कि आईसीसी इसी योजना के साथ 2023-2028 के वैश्विक मीडिया अधिकार बाजार में उतरेगा और स्टार स्पोर्ट्स जैसे संभावित प्रसारणकर्ताओं से उसे अधिक राजस्व मिलने की उम्मीद है। धूमल ने कहा कि हम टूर्नामेंटों की संख्या बढ़ाने के संदर्भ में आईसीसी के नए प्रस्ताव से सहमत नहीं हैं। धूमल ने कहा कि गैरजरूरी खर्चों पर लगाम कसना उनकी प्राथमिकता में शीर्ष पर है। वह इस पैसे का इस्तेमाल प्रथम श्रेणी क्रिकेटरों की वित्तीय स्थिति में सुधार के लिए करना चाहते हैं।
बीसीसीआई के पूर्व अध्यक्ष अनुराग ठाकुर के भाई धूमल पिछले कुछ वर्षों में विधिक खर्चों के बढ़ने से भी हैरान हैं। बीसीसीआई के कोषाध्यक्ष ने कहा कि मेरा लक्ष्य बीसीसीआई के राजस्व में इजाफा करना है क्योंकि राजस्व स्थिर हो गया है जबकि खर्चों में इजाफा हुआ है। प्रशासनिक और विधिक खर्चों पर ध्यान देने की जरूरत है।