जकार्ता : पारंपरिक पावर हाउस भारत एशियाई खेलों से पहली बार कबड्डी में स्वर्ण के बिना स्वदेश लौटेगा क्योंकि ईरान की महिला टीम ने पुरूष टीम के नक्शेकदम पर चलते हुए यहां भारतीय महिला टीम को फाइनल मे हराकर की उसकी उम्मीदों पर पानी फेर दिया। दो बार की गत चैम्पियन भारतीय टीम फाइनल में 24-27 से हार गई और उसे रजत पदक से ही संतोष करना पड़ा। ईरान की पुरूष टीम ने कल सेमीफाइनल में सात बार के चैम्पियन भारत को हराकर हैरान कर दिया था। ईरान की पुरूष टीम ने फाइनल में कोरिया को 26-16 से हराकर पहला स्वर्ण पदक हासिल किया।
इस हार का मतलब है कि भारत एशियाई खेलों में इस स्पर्धा के पर्दापण के बाद से पहली बार स्वर्ण पदक के बिना लौटेगा। कबड्डी को 1990 में बीजिंग में इस महाद्वीपीय टूर्नामेंट में शामिल किया गया था। भारतीय पुरूष टीम ने लगातार सात खिताब अपने नाम किये थे जबकि महिला टीम एशियाई खेलों में दो बार की गत चैम्पियन थी। भारतीय रेडर्स ने निराशाजनक प्रदर्शन किया और ईरान ने पिछड़ने के बाद वापसी करते हुए जीत दर्ज की। भारत के लिये पायल और सोनाली ने अच्छा प्रदर्शन करके 7-3 की बढत बना ली । रणदीप कौर ने ईरान की दो अंक की बढत को कम किया । ईरान ने फिर रेड करके अंतर 6-7 का कर दिया।
भारत ने फिर 13-8 की बढत बना ली। पहले हाफ में स्कोर 13-11 था । ईरान ने छह अंक लगातार बनाकर स्कोर 17-13 कर दिया। दो मिनट बाकी रहते साक्षी कुमारी ने दो अंक बनाकर स्कोर 24-25 कर दिया। ईरान की कोच शैलजा जैन भारतीय हैं, उन्होंने कहा कि वह गौरव के साथ देश लौटेंगी। जैन ने कहा कि मैंने उन्हें कहा था कि मैं बिना स्वर्ण पदक के भारत नहीं लौटना चाहती। मैंने उन्हें बताया कि मैं कोई भेंट नहीं चाहती, बस स्वर्ण पदक चाहती हूं। और उन्होंने ऐसा ही किया।