कभी यह क्रिकेटर मैगी खाकर करता था गुजारा ! आज है टीम इंडिया की रीढ़ - Punjab Kesari
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कभी यह क्रिकेटर मैगी खाकर करता था गुजारा ! आज है टीम इंडिया की रीढ़

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चेन्नई में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ खेले गए मैच में महेंद्र सिंह धोनी के साथ 118 रनों की साझेदारी कर हार्दिक पांड्या एक फिर चर्चा में हैं। पांड्या कई बार अपने हुनर को साबित कर चुके हैं। पांड्या के बचपन के दिन परेशानियों भरे रहे हैं। हम आपको बता रहे हैं उनकी जिंदगी के बारे में कुछ बातें।

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हार्दिक पांड्या का जन्म 11 अक्टूबर 1993 को गुजरात के सूरत में हुआ था। सूरत में उनके पिता हिमांशु पांड्या का छोटा कार फाइनेंस का बिजनेस था जिसे बंद कर वो वडोदरा शिफ्ट हो गए थे, उस समय हार्दिक पांड्या की उम्र 5 साल थी। हार्दिक के पिता हिमांशु क्रिकेट के बड़े फैन थे और वो अपने दोनों बेटों को साथ में मैच दिखाते थे और कई बार मैच के लिए स्टेडियम भी ले जाते थे। इसी से दोनों भाइयों का क्रिकेट में इनटेरेस्ट जगा। हिमांशु चाहते थे कि उनके बेटों को अच्छी क्रिकेट ट्रेनिंग मिले इसलिए उन्होंने दोनों को वडोदरा की ‘किरन मोरे क्रिकेट अकेडमी’ ज्वाइन करवा दी।

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उस समय उनकी आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी जिसके चलते को एक किराये के घर में रहते थे और एक सेकंड हेंड कार का इस्तेमाल करते थे। हिमांशु इस कार का इस्तेमाल अपने बेटों को क्रिकेट ग्राउंड तक ले जाने के लिए किया करते थे। एक इंटरव्यू में बात करते हुए पांड्या ने बताया था कि वो सुबह- शाम दोनों वक्त केवल मैगी खाते थे। घर में पैसों की परेशानी थी और मैगी पसंद होने के कारण वो दोनों समय मैगी ही खाते थे। इतना ही नहीं और क्रिकेट किट मांग कर इस्तेमाल किया करते थे। उन्होंने बताया कि हमारे घर में पैसों की बहुत परेशानी हुआ करती थी लेकिन अब वो जो चाहते हैं वो खा सकते हैं।

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उन्होंने बताया कि हम (हार्दिक और क्रुणाल) खेलने के लिए कार से जाते थे लेकिन हमारे पास क्रिकेट किट नहीं हुआ करती थी इसलिए हमने बरोडा क्रिकेट एसोसिएशन से एक साल के लिए क्रिकेट किट ली थी, उस समय मेरी उम्र 17 और क्रुणाल की उम्र 19 थी। बहुत लोग यह सवाल किया करते थे कि ये कार से आते हैं लेकिन क्रिकेट किट अफोर्ड नहीं कर सकते ?

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साल 2010 में उनके पिता को एक रात में 2 बार हार्ट अटैक आया जिसके बाद खराब होती सेहत के कारण उन्हें नौकरी छोड़नी पड़ी जिसके बाद घर के हालात और खराब हो गए। हार्दिक ने बताया कि हम जो भी कमाते थे वो कार और बाकी ईएमआई में चला जाता था। उन्होंने बताया कि शुरुआती दिनों में दोनों भाई 400-500 रुपये कमाने के लिए पास के गांव में क्रिकेट खेलने जाते थे। हार्दिक को मैच के लिए 400 और क्रुणाल को 500 रुपये मिल जाया करते थे। लेकिन अब वो समय बीत चुका है। इसी साल पांड्या ब्रदर्स ने मुंबई में अपना पहला घर खरीदा, जो अंधेरी के पॉश एरिया वर्सोवा में है। पांड्या फैमिली का ये घर फुल फर्निश्ड है जिसमें 2 बेडरूम, हॉल और किचन है।

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वहीं कुछ समय पहले ही हार्दिक ने अपने पिता को एक कार गिफ्ट की थी। इसकी जानकारी सोशल मीडिया का जरिए उन्होंने खुद दी थी। उन्होंने लिखा था पिता के खिले चहरे को देखकर बहुत खुश हूं। यही वो शख्स हैं, जिन्हें जीवन की सारी खुशियां मिले। मेरे डैड को मुझे संवारने का सारा श्रेय जाता है। मेरे और क्रुणाल के लिए उन्होंने क्या नहीं किया। इससे मेरा हौसला बढ़ा। उन्हें सरप्राइज के तौर पर यह छोटा गिफ्ट भेजकर काफी भावुक हूं। जब मैं वहां मौजूद नहीं था, तो मेरे भाई वैभव पंड्या और मां नलिनी पंड्या ने इस सरप्राइज का इंतजाम किया।

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बता दें कि हार्दिक पांड्या पढ़ाई में अच्छे नहीं थे और नौवीं क्लास में फेल हो गए थे। इसके बाद उन्होंने पढ़ाई छोड़ दी और सिर्फ क्रिकेट पर ही फोकस किया था। पूर्व क्रिकेटर किरण मोरे ने हार्दिक पांड्या को अपनी एकेडमी में तीन साल तक फ्री ट्रेनिंग दी थी।

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शुरुआत में हार्दिक पांड्या लेग स्पिनर थे लेकिन किरण मोरे की सलाह से वह फास्ट बॉलर बने. घरेलू क्रिकेट में दोनों भाई बड़ौदा की टीम से खेलते हैं। हार्दिक पांड्या सैयाद मुश्ताक अली ट्रॉफी में दिल्ली के खिलाफ मैच में 5 छक्कों के साथ एक ओवर में 39 रन बना चुके हैं।

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हार्दिक ने T20 में अपना डेब्यू साल 2013 को मुंबई के खिलाफ किया था. इस मैच में उन्होंने 3 ओवर में 22 रन दिए। कोई विकेट नहीं मिला। वहीं क्रुणाल का डोमेस्टिक T20 डेब्यू मार्च 2013 में हुआ। उन्होंने बंगाल के खिलाफ. 2 ओवर फेंके, 15 रन दिए. 11 बॉल में 12 रन बनाकर आउट हो गए थे।

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