भारतीय टीम के पूर्व दिग्गज बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर के कोच रमाकांत आचरेकर का कल यानी 2 जनवरी को 87 उम्र में निधन हो गया। बता दें कि सचिन तेंदुलकर को महान क्रिकेटर बनाने में रमाकांत आचरेकर का अहम योगदान है। अगर हम यह बोलें कि आचरेकर नहीं होते तो सचिन तेंदुलकर क्रिकेट दुनिया के महान खिलाड़ी नहीं बन पाते।
रमाकांत आचरेकर का जन्म साल 1932 में हुआ था। बता दें कि आचरेकर मुंबर्ह के शिवाजी पार्क में युवा क्रिकेटर्स को क्रिकेट सिखाने के लिए ही जाने जाते थे। आचरेकर के निधन की बात उनके परिवार के सदस्य रश्मि दल्वी ने मीडिया को बताई थी।
रमाकांत आचरेकर ने सचिन तेंदुलकर को ही नहीं बल्कि विनोद कांबली, प्रवीण आमरे, समीर दिगे और बलविंदर सिंह संधू को भी क्रिकेट सिखाया है और उन्हें निखारा भी है।
आचरेकर के निधन पर बीसीसीआई ने जताया शोक
बता दें कि बीसीसीआई ने रमाकांत आचरेकर के निधन पर ट्वीट करके शोक जताया है। बीसीसीआई ने अपने ट्वीट में रमाकांत आचरेकर को श्रद्धांजलि देते हुए लिखा, उन्होंने भारत को सिर्फ महान खिलाड़ी ही नहीं दिए बल्कि अपनी ट्रेनिंग के दौरान उन्होंने उन सभी खिलाडिय़ों को एक अच्छा इंसान भी बनाया। भारतीय क्रिकेट में आचरेकर को योगदान अमिट रहेगा।
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि सचिन तेंदुलकर और विनोद कांबली ने हाल ही में एक क्रिकेट अकादमी शुरुआत की है। उन दोनों ने अपनी इस अकादमी के लिए अपने गुरु रमाकांत आचरेकर का घर जाकर आशीर्वाद लिया था।
इस अकादमी को शुरू करने से पहले तेंदुलकर और कांबली ने अपने गुरु आचरेकर से मुलाकात कि ताकि वह आने वाले खिलाडिय़ों को गुरु के सम्मान का महत्व समझा सके।
कोच के साथ सचिन तेंदुलकर ने तस्वीर की थी शेयर
सचिन तेंदुलकर ने अपने कोच से मुलाकात की बात सोशल मीडिया पर खुद तस्वीर पोस्ट करके बताई थी और उस तस्वीर के साथ उन्होंने कैप्शन भी डाला था। सचिन ने उस कैप्शन में लिखा था, उस शख्स के साथ एक खास शाम जिसने हमें बहुत कुछ सिखाया और हमें वह बनाया जो हम आज हैं। मुंबई कैंप की शुरूआत करने के लिए हमें उनके आशीर्वाद की जरुरत है।
इन पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है आचरेकर को
बता दें हमेशा से ही रमाकांत आचरेकर युवा क्रिकेटर्स के लिए एक प्रेरणास्त्रोत रहे हैं। सचिन तेंदुलकर और विनोद काबंली ने साल 1988 में स्कूल क्रिकेट में 664 रनों की पारी खेली थी और रिकॉर्ड अपने नाम किया था। उस समय सचिन की उम्र 15 साल से भी कम थी और वहीं कांबली 16 साल के थे। उस समय इन दोनों के कोच रमाकांत आचरेकर ही थे।
रमाकांत आचरेकर को साल 2010 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया था और उन्हें क्रिकेट कोचिंग में सेवाओं के लिए साल 1990 में द्रोणाचार्य पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। रमाकांत को 12 फरवरी 2010 में भारतीय टीम के तत्कालीन कोच गैरी कस्र्टन से जीवन भर के अचीवमेंट के लिए भी सम्मानित किया गया था।