अनिल चौधरी ने कहा कि आईपीएल का स्टैंडर्ड बहुत ऊंचा है और चार विदेशी खिलाड़ियों की वजह से टीमों के बीच प्रतिस्पर्धा बढ़ जाती है। अंपायरिंग के दौरान डीआरएस तकनीक के फायदे बताते हुए उन्होंने कहा कि यह खेल को बहुत फायदा पहुंचाता है।
आईपीएल में अंपायरिंग के दौरान हुई कंट्रोवर्सी पर उन्होंने कहा, “कभी-कभी इतनी टाइट कॉल होती है कि आपका फैसला गलत हो सकता है। लेकिन, आप सोचिए, कभी-कभी अंपायर ऐसा डिसीजन भी देते हैं कि अगर डीआरएस न होता तो लोग कहते कि यह फैसला गलत है। यह डीआरएस का सकारात्मक पहलू भी है।”उन्होंने कहा, “कभी-कभी ऐसा होता है कि अंपायर कोई फैसला देता है और वह लगातार अंपायर कॉल हो जाए तो विपक्षी टीम के खिलाड़ी मजाक में कहते हैं कि सर, एकतरफा फैसले दे रहे हो। हालांकि, वह सब मजाक में कहते हैं। डीआरएस बहुत अच्छी तकनीक है। इससे खेल को बहुत फायदा हुआ है।”
आईपीएल की शुरुआत से पहले जाने-माने क्रिकेट अंपायर अनिल चौधरी ने आईएएनएस से बात करते हुए कहा कि दुनिया में आईपीएल का स्टैंडर्ड बहुत ऊंचा है। साथ ही उन्होंने कहा कि चार विदेशी खिलाड़ियों की वजह से टीमों के बीच प्रतिस्पर्धा बहुत बढ़ जाती है। उन्होंने कहा कि आईपीएल का स्टैंडर्ड दुनिया में बहुत ऊंचा है। आप सबसे ज्यादा कांटे के मैच आईपीएल में देखते हैं। आईपीएल की टीमों में जो चार विदेशी खिलाड़ियों को रखा जाता है, उससे टीम का बैलेंस इतना अच्छा हो जाता है कि कभी-कभी सारी टीमें बराबर हो जाती हैं। इसलिए टीमों के बीच प्रतिस्पर्धा बहुत बढ़ जाती है।
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उन्होंने अपनी अंपायरिंग की शुरुआत के बारे में कहा, “मेरे क्लब में कुछ लोग अंपायरिंग करते थे। तो शुरुआत में उन्होंने मुझे अपनी जगह अंपायरिंग करने भेजा। मुझे पता भी नहीं था कि अंपायरिंग क्या होती है। फिर इस तरह धीरे-धीरे अंपायरिंग का सिलसिला शुरू हो गया।
इसके बाद मैं थाईलैंड जाने लगा और मुझे एयर टिकट और पैसे मिलने लगे। यह मुझे बड़ी अच्छी सुविधाएं लगीं। इसके बाद मैं परीक्षा पास कर गया। शुरुआत में एक शख्स रामबाबू गुप्ता, जो राजधानी में क्रिकेट के ऊंचे पद पर थे, उनकी वजह से मुझे अंपायरिंग में बहुत से मौके मिले। भारत में बहुत अच्छे अंपायर हुए हैं। वेंकट राघवन हुए हैं। इसके अलावा मुझे डेविड शेफर्ड बहुत पसंद हैं। मैं उनसे कभी मिला तो नहीं, पर वह लीजेंड हैं।”
–आईएएनएस