नई दिल्ली : सचिन यदि भारत रत्न हैं तो हमारे पास इमरान खान हैं, जो कि पाकिस्तान का कोहिनूर हैं। तकरीक-ए-इंसाफ पार्टी के एक वरिष्ठ नेता और क्रिकेट प्रेमी का यह बयान सार्थक हो गया है। वाकई इमरान खान एक कोहिनूर की तरह चमक बिखेरते हुए पाकिस्तान के शीर्ष राजनीतिक ओहदे तक पहुंचे हैं। जिस शख्सियत पर शुरू से अनेक आरोप लगे, उसने आखिरकार वह मुकाम पा लिया है जिसकी उसे हमेशा से भूख रही। पहले महान क्रिकेटर और अब किंग आफ पाकिस्तान कहे जा रहे इमरान ने जीवन में बड़े उतार-चढ़ाव देखे और तमाम आरोपों को दरकिनार कर वहाँ जा पहुंचे हैं, जहां दुनिया का कोई भी क्रिकेट खिलाड़ी नहीं पहुंच पाया है।
लेकिन क्या इमरान खान के प्रधानमंत्री बनने के बाद भारत-पाक क्रिकेट रिश्ते बहाल हो पाएंगे और दोनों देश एक-दूसरे के घर पर क्रिकेट खेल पाएंगे? और क्या सीमा पर क्रिकेट खेली जाएगी? फिलहाल यह सवाल पूछना अभी जल्दबाजी होगी क्योंकि बड़ा मसला दोनों देशों के बिगड़ते रिश्ते और सीमा पर लगातार हो रही मारकाट को रोकना है। लेकिन इमरान ने चुनाव जीतने के बाद वही राग अलापना शुरू कर दिया है जोकि उनसे पहले के राजनेता और भारत के कट्टर दुश्मन अलापते आए हैं। दिग्गज क्रिकेटर, प्ले ब्यॉय, कई बीवियां रखने के शौकीन और शातिर दिमाग के मालिक इमरान खान विदेशों में पढ़े-लिखे और भारत के विरुद्ध अपनी कूटनीति का इस्तेमाल उन्होने खिलाड़ी जीवन से ही शुरू कर दिया था।
भारतीय क्रिकेट प्रेमी उस दौर को कैसे भूल सकते हैं जब इमरान खान, रिचर्ड हैडली, इयान बॉथम और कपिल देव अपनी घातक गेंदों से बल्लेबाजों को हैरान परेशान कर रहे थे। वर्षों तक उनके बीच तुलना की जाती रही। बेशक, अपनी दूरदर्शिता और आल राउंड प्रदर्शन से इमरान बेहतर स्थिति में थे। उनकी कप्तानी को दुनिया भर मे सराहा गया। 1992 की विश्व कप जीत ने उन्हें महानतम कप्तान बनाया तो पिछले 22 सालों के कड़े संघर्ष के बाद पाकिस्तान के किंग बन कर उभरे हैं। भारतीय क्रिकेट प्रेमियों ने उन्हें हमेशा प्यार दुलार दिया। उनके लटके झटकों पर मरने वाले भारत में भी रहे हैं। पाकिस्तान के इस महानतम कप्तान ने अपने देश के लिए 88 टेस्ट खेले, 3807 रन बनाए और 362 विकेट लिए।
(राजेंद्र सजवान)