20 जून से शुरू होने वाली भारत और इंग्लैंड के बीच टेस्ट सीरीज अब “Tendulkar-Anderson Trophy” के लिए खेली जाएगी। पहले यह सीरीज 2007 से ‘पाटौदी ट्रॉफी’ के नाम से जानी जाती थी। इस नाम को इसलिए रखा गया था ताकि मंसूर अली खान पाटौदी और उनके पिता इफ्तिखार अली खान पाटौदी की याद बनी रहे, जो दोनों भारत क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान थे। लेकिन हाल ही में इंग्लैंड क्रिकेट बोर्ड (ECB) ने इस नाम को बदलने का फैसला लिया, जिससे कई फैंस नाराज हो गए। खुद सचिन तेंदुलकर ने भी ECB और BCCI से पाटौदी परिवार की विरासत बचाने की अपील की है।क्रिकेट के जाने-माने कमेंटेटर हर्षा भोगले ने इस नाम परिवर्तन पर अपनी राय दी है। उनका कहना है कि इतिहास को ऐसे जल्दबाजी में नहीं बदला जाना चाहिए। हर्षा भोगले ने कहा, “मुझे पाटौदी ट्रॉफी का नाम बहुत पसंद था क्योंकि यह दोनों देशों के बीच एक खास कड़ी थी। पाटौदी सीनियर ने दोनों देशों के लिए टेस्ट क्रिकेट खेला, और जूनियर टाइगर यानी मंसूर अली खान पाटौदी ने भारत की कप्तानी गर्व से की। इसलिए यह नाम इतिहास से जुड़ा था। लेकिन अब जब नाम बदल दिया गया है तो क्या अगले दस सालों में यह सीरीज ‘कोहली-रूट ट्रॉफी’ कहलाएगी?”
मार्च में ECB ने पाटौदी परिवार को पत्र लिखा था कि वे ट्रॉफी को रिटायर करना चाहते हैं। हालांकि, इसके बाद खबर आई है कि नए नाम के तहत एक मेडल भी बनाया जाएगा जो लेट MAK पाटौदी के नाम पर होगा और विजेता कप्तान को दिया जाएगा।सचिन तेंदुलकर, जिन्हें क्रिकेट का भगवान कहा जाता है, टेस्ट क्रिकेट में सबसे ज्यादा रन बनाने वाले खिलाड़ी हैं। उन्होंने 1989 से 2013 तक 200 टेस्ट खेले और कई रिकॉर्ड बनाए। वहीं, जेम्स एंडरसन इंग्लैंड के सबसे सफल तेज गेंदबाज हैं और टेस्ट क्रिकेट में 704 विकेट लेकर देश के टॉप विकेट लेने वाले गेंदबाज हैं। एंडरसन ने पिछले साल इंटरनेशनल क्रिकेट से संन्यास लिया है, लेकिन अभी भी काउंटी क्रिकेट खेल रहे हैं।
ये दोनों दिग्गज क्रिकेटर 14 टेस्ट मैचों में आमने-सामने हुए हैं, जिसमें एंडरसन ने तेंदुलकर को नौ बार आउट किया, जो किसी भी गेंदबाज द्वारा तेंदुलकर को आउट करने का सबसे ज्यादा रिकॉर्ड है।अभी इंग्लैंड के पास पाटौदी ट्रॉफी है, जिसे उन्होंने 2021-22 में खेले गए 2-2 ड्रॉ मैच से बरकरार रखा था। वह सीरीज कोविड-19 के कारण लंबित रह गई थी।
इस विवाद के बीच क्रिकेट प्रेमी और विशेषज्ञ दोनों ही इस बात पर चर्चा कर रहे हैं कि क्या इतिहास को नजरअंदाज करते हुए नाम बदलना सही है या नहीं। कई लोगों का मानना है कि ट्रॉफी का नाम रखना सिर्फ सम्मान नहीं, बल्कि दो देशों के क्रिकेट संबंधों का प्रतीक भी है।इस नई टेस्ट सीरीज में Tendulkar-Anderson Trophy के लिए दोनों टीमों के बीच मुकाबला दिलचस्प होगा, साथ ही यह देखने वाली बात होगी कि फैंस और क्रिकेट जगत इस नाम बदलाव को कैसे स्वीकार करते हैं।