12 साल बाद रेड बॉल क्रिकेट को अलविदा, टेस्ट क्रिकेट में Rohit Sharma के यादगार पल - Punjab Kesari
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12 साल बाद रेड बॉल क्रिकेट को अलविदा, टेस्ट क्रिकेट में Rohit Sharma के यादगार पल

रोहित शर्मा का टेस्ट क्रिकेट से विदाई का फैसला

2013 में जब रोहित शर्मा ने टेस्ट क्रिकेट में कदम रखा, तब उसी समय 2013 में ही सचिन तेंदुलकर आखरी टेस्ट खेल रहे थे। सबकी नजरें सचिन पर थीं। किसी ने रोहित पर ध्यान नहीं दिया। सबको लगा कि ये शायद सफेद गेंद के खिलाड़ी हैं, जिन्हें सिर्फ टेस्ट में एक मौका दिया गया है। लेकिन रोहित ने अपनी पहली ही पारी में 177 रन बना कर बता दिया कि वो रेड बॉल के भी उतने ही बड़े खिलाड़ी बन सकते हैं, जितना लिमिटेड ओवर्स में हैं। लेकिन आसान नहीं था ये सफर।

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बीच में सालों तक टीम से अंदर-बाहर होना, इंजरीज़ से जूझना, विदेशी पिचों पर खुद को साबित करने की लड़ाई, रोहित शर्मा का टेस्ट करियर उन तमाम मुश्किलों का नाम है, जिसे उन्होंने अपनी कलाई की कला और फील्ड पर शांति से पार किया। शायद उन्होंने SENA देशों में केवल एक शतक बनाया, लेकिन इस बात से कोई इनकार नहीं कर सकता कि जब वो फॉर्म में होते थे, तो गेंदबाज़ों के पास कोई जवाब नहीं होता था। हर खिलाड़ी का एक ग्राफ होता है, और फिर भी, जब-जब भारत को शुरुआत में एक सॉलिड स्टैंड चाहिए होता था, रोहित आगे खड़ा होता था। बिना बहस किए, बिना शोर मचाए।

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2019 में बतौर ओपनर उन्होंने नई शुरुआत की, और साउथ अफ्रीका के खिलाफ रांची में दोहरा शतक जड़कर ये साबित भी किया कि वो सिर्फ मिडिल ऑर्डर के लिए नहीं बने हैं — वो भारत के लिए टेस्ट ओपनिंग में भी मैच-विनर हैं। इसके बाद 2021 में इंग्लैंड के लॉर्ड्स में वो शतक आया जहां किसी भी बल्लेबाज ने गेंद को पढ़ भी नहीं पाए उस दौरे पर रोहित सबसे ज्याया रन बनाने वाले खिलाड़ी रहे इसके बाद खुद रोहित को विस्वास हो गया की वो क्या कर सकते है। कप्तानी की जिम्मेदारी आई 2021 में — कुल 24 मैचों में से 12 जीते, 9 हारे, 3 ड्रॉ। 2023 में उनकी कप्तानी में भारत वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप फाइनल तक पहुंचा। हाँ, ट्रॉफी नहीं आई… लेकिन एक स्टेबल कप्तान मिलना ही बड़ी बात थी। लेकिन दुनिया ने उसमें खामिया देखी बत्तौर टेस्ट कप्तान

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रोहित ने 67 टेस्ट मैच, 4301 रन, 12 शतक, 18 अर्धशतक, 212 का सर्वश्रेष्ठ स्कोर, 40.57 की औसत। बनाये कई खिलाडियों के रिकार्ड्स इससे बेहतर हो सकते हैं, लेकिन रोहित का असर आंकड़ों से कहीं आगे था। वो जब बैटिंग करता था, तो टीवी के सामने बैठा फैन भी रिलैक्स हो जाता था — क्योंकि पता होता था कि आज क्लास देखने को मिलेगा, शोर नहीं, ठहराव मिलेगा।

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इतना ही नहीं सबसे बड़ी बात? रोहित मैदान पर स्टार होकर भी अपने साथियों के लिए हमेशा ‘अपना’ रहा। रोहित को सिर्फ उनके आंकड़ों से नहीं याद रखा जायेगा।

उनको याद रखा जाएगा की स्लिप में खड़े होकर मस्ती करने वाला रोहित ने संन्यास ले लिया है

वो डीआरएस पर मज़ेदार कमेंट्स करने वाले रोहित ने संन्यास ले लिया है

वो ड्रेसिंग रूम में हर किसी को कंफर्ट देने वाले रोहित ने संन्यास ले लिया है

वो खिलाड़ी जो सुपरस्टार होते हुए भी हमेशा ग्राउंडेड रहा। उस रोहित ने संन्यास ले लिया है।

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