भारत और ऑस्ट्रेलिया के बिच हाली में ख़त्म हुई BGT सीरीज में भारतीय टीम का प्रदर्शन काफी निराशाजनक रहा जिसके बाद BCCI द्वारा एक रिव्यु मीटिंग रखी गयी जिसमें बहुत सी बातें तय की गयी जिसमें 10 पॉइंटस पर बात हुई जिसमें घरेलू क्रिकेट को अनिवार्य बनाया गया, दौरों पर परिवारों और निजी कर्मचारियों की मौजूदगी पर प्रतिबंध लगाया गया और चल रही सीरीज के दौरान व्यक्तिगत वाणिज्यिक विज्ञापनों पर प्रतिबंध लगाया गया। पता चला है कि टीम के हालिया खराब प्रदर्शन की समीक्षा बैठक में मुख्य कोच गौतम गंभीर ने प्रतिबंधों की मांग की थी। इसका पालन न करने पर खिलाड़ियों के केंद्रीय अनुबंधों से रिटेनर फीस में कटौती और नकदी से भरपूर इंडियन प्रीमियर लीग में भाग लेने पर प्रतिबंध सहित दंड लगाया जाएगा।
ऑस्ट्रेलिया के दौरे में टीम के निराशाजनक प्रदर्शन के बाद इन उपायों की घोषणा की गई है, जिसके दौरान टीम ने एक दशक में पहली बार बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी गंवा दी थी। इस हार से पहले घरेलू मैदान पर अपेक्षाकृत कमजोर न्यूजीलैंड के खिलाफ सीरीज में वाइटवाश हुआ था। 10 निर्देशों के अनुसार खिलाड़ियों को दौरे पर अपने परिवार के ठहरने की अवधि सहित किसी भी छूट के लिए गंभीर और चयनकर्ताओं के अध्यक्ष अजीत अगरकर की मंजूरी लेनी अनिवार्य है।
बोर्ड ने 45 दिनों से अधिक के विदेशी दौरों के दौरान खिलाड़ियों के परिवारों को उनके साथ रहने के लिए केवल दो सप्ताह की अवधि को मंजूरी दी है, इसके अलावा निजी स्टाफ और व्यावसायिक शूटिंग पर प्रतिबंध लगाए हैं। हालात को देखते हुए ऐसा लगता है कि बीसीसीआई ने पिछले सप्ताहांत हुई समीक्षा बैठक के दौरान गंभीर के रुख का पूरी तरह से समर्थन किया है।
बोर्ड ने चेतावनी दी है कि “किसी भी अपवाद या विचलन को चयन समिति के अध्यक्ष और मुख्य कोच द्वारा pre-approved किया जाना चाहिए। यदि किसी खिलाड़ी द्वारा अनुशासनहीनता की जाती है तो BCCI सख्त कदम उठा सकती है इसके अतिरिक्त, बीसीसीआई किसी खिलाड़ी के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करने का अधिकार सुरक्षित रखता है, जिसमें बीसीसीआई द्वारा आयोजित सभी टूर्नामेंटों में भाग लेने से संबंधित खिलाड़ी के खिलाफ प्रतिबंध शामिल हो सकता है, जिसमें बीसीसीआई खिलाड़ी अनुबंध के तहत रिटेनर राशि/मैच फीस से इंडियन प्रीमियर लीग की कटौती भी शामिल है।”