20 जून 2025 तारीख तो नई है, लेकिन जो होने जा रहा है, वो किसी चमत्कार ससे कम नहीं होगा। जैसे इतिहास ने खुद को दोहराने की ठान ली हो। एक बार फिर भारत इंग्लैंड के दौरे पर है, लेकिन इस बार हालात कुछ अलग हैं, या कहिए, बहुत कुछ अलग है। क्योंकि इस बार मैदान पर उतरने वाली टीम इंडिया की प्लेइंग इलेवन में ना रोहित शर्मा होंगे, ना विराट कोहली, और ना ही रविचंद्रन अश्विन
18 अगस्त 2011 ओवल का वही ऐतिहासिक मैदान। इंग्लैंड के खिलाफ चौथा टेस्ट। भारतीय टीम बुरी तरह संघर्ष कर रही थी। और उस संघर्ष की सबसे बड़ी वजह थी, वो अनुभव जो टीम में नदारद था। उस टेस्ट में टीम इंडिया के पास ना रोहित था, ना विराट और ना ही अश्विन। टीम हारी पारी और 8 रन से। और तब शायद ही किसी ने सोचा होगा कि आने वाले दशक में ये तीनों खिलाड़ी भारतीय क्रिकेट के सबसे चमकते सितारे बन जाएंगे।
और फिर आया वो सुनहरा दौर…विराट कोहली आये रोहित शर्मा, और रविचंद्रन अश्विन, इन तीनों ने मिलकर भारतीय टेस्ट क्रिकेट को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया। विदेशों में जीत, घर में अजेय , और बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी जैसी ऐतिहासिक सीरीज़ में दमदार प्रदर्शन — सब कुछ इनकी बदौलत था। लेकिन अब कहानी फिर से वहीं लौट रही है।
5055 दिन बाद, एक बार फिर वही स्थिति सामने है। इंग्लैंड का दौरा, विदेशी धरती, कड़ा इम्तिहान। लेकिन इस बार भी भारत के पास तीनों नहीं हैं — क्योंकि तीनों अब रिटायर हो चुके हैं। रोहित, विराट और अश्विन अब ड्रेसिंग रूम में नहीं, बल्कि इतिहास के सुनहरे पन्नों में दर्ज हो चुके हैं। अब बारी है नए सितारों की। कोई शुभमन गिल की ओर देखेगा, कोई यशस्वी जैसवाल की तरफ उम्मीद लगाएगा। वहीं टीम की आधी सी ज्यादा जिम्मेदारी बुमराह के कंधे पर होगी। कोई नए स्पिनर को अश्विन की जगह लेते देखेगा। कहीं कोई विराट की जगह नंबर चार पर खड़ा होकर बल्ले से जवाब देगा। 5055 दिन पहले जो अधूरा रह गया था, शायद इस बार वो पूरा हो।