Abhinav Bindra ने किया निशानेबाजों को मोटीवेट, बोले - अगर मेडल जीतना है..
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Abhinav Bindra ने किया निशानेबाजों को मोटीवेट, बोले – अगर मेडल जीतना है..

ओलंपिक चैम्पियन Abhinav Bindra ने आगामी पेरिस खेलों में बेहतरीन प्रदर्शन करने की तैयारियों में जुटे निशानेबाजों से रविवार को यहां बातचीत के दौरान कहा कि ‘बिस्तर पर जाने से पहले खुद को आईने में देखो और पूछो कि क्या मैंने अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया?’

HIGHLIGHTS

  • पेरिस ओलिंपिक की शुरुआत 26 जुलाई से 
  • Abhinav Bindra ने निशानेबाजों को मोटिवेट
  • भारत ने पेरिस ओलंपिक के लिए राइफल, पिस्टल और शॉटगन में कुल 19 कोटे हासिल किये

ANI 20240331155319
भारत के पहले व्यक्तिगत ओलंपिक स्वर्ण पदक विजेता बिंद्रा ने निशानेबाजों के सवालों के जवाब देने के साथ ओलंपिक मंच पर निशानेबाजी के अपने अनुभव साझा किये। निशानेबाज अब अंतिम तीन महीनों की महत्वपूर्ण तैयारी में जुटे हैं और डॉ कर्णी सिंह शूटिंग रेंज में आयोजित इस सत्र में बिंद्रा ने कहा कि सफलता सिर्फ एक बार मिलने वाली चीज नहीं है। उन्होंने कहा, ‘‘दिन रात निरंतर सही चीजें करना ही सफलता तक पहुंचाता है। ’’ खुद को अनुशासित करने के संबंध में पूछे सवाल पर बिंद्रा ने कहा, ‘‘आपको खुद से पूरी तरह ईमानदार रहना होगा और हर दिन रोज सोने से पहले खुद को आईने में देखो और पूछो कि क्या मैंने अपना सर्वश्रेष्ठ किया? अगर जवाब हां है तो आपको आखिर में इसका नतीजा मिलेगा। ’’ भारत ने पेरिस ओलंपिक के लिए राइफल, पिस्टल और शॉटगन में कुल 19 कोटे हासिल किये हैं जो अभी तक सबसे ज्यादा कोटे हैं।

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भारतीय निशानेबाजों का पहला जत्था यूरोप में उपकरण जांच के लिए रात में रवाना होगा जिससे पहले भारतीय राष्ट्रीय राइफल संघ (एनआरएआई) ने यह सत्र आयोजित किया। अप्रैल में इस तरह के तीन जत्थे रवाना होंगे। वहीं तीन सदस्यीय महिला एयर पिस्टल टीम और शॉटगन टीम क्रमशः रियो और दोहा में अंतिम ओलंपिक क्वालीफायर में हिस्सा लेगी। अप्रैल में राइफल और पिस्टल निशानेबाजों के लिए चार राष्ट्रीय ओलंपिक चयन ट्रायल्स में से पहला यहीं कराया जायेगा। ऐसा पहली बार होगा जब राइफल और पिस्टल ओलंपिक टीम चुनने के लिए राष्ट्रीय ट्रायल कराये जायेंगे। बिंद्रा से जब पूछा गया कि वह अतीत के युवा अभिनव को क्या सलाह देना चाहेंगे तो उन्होंने कहा, ‘‘मेरा मानना है कि मैं अपनी पूर्ण क्षमता हासिल नहीं कर पाया। काश मैं जिंदगी में और संतुलित रहता और मेरे कुछ और शौक होते। मैं खुद को अकेला कर दिया था। ’’ उन्होंने कहा, ‘‘मैं खुद से कहता कि खुद के प्रति थोड़ा नरम रहूं। जब मैं अपने लक्ष्य हासिल कर लेता तो मैं खुद की पीठ नहीं थपथपाता था तो मुझे लगता है कि काश मैं ऐसा कर पाता। ’’ बिंद्रा ने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि तब आप शूटिंग रेंज में वापस जाते तो आप बेहतर तरीके से उबर सकते हो और प्रतिस्पर्धा में मानसिक रूप से मजबूत हो सकते हो। ’’ बीजिंग ओलंपिक खेलों से कुछ विशेष तैयारियों के बारे में उन्होंने कहा, ‘‘यह मेरा चौथा ओलंपिक था जिससे मैं खुद को नतीजे से खुद को अलग रखने में सफल रहा था। मैं पूरी तरह से प्रक्रिया पर ध्यान लगाये था। मैं हर एक शॉट पर अपना सर्वश्रेष्ठ करना चाहता था। मैंने जीतने या हारने के बारे में नहीं सोचा। मैं सिर्फ उसी पल में रहने में सफल रहा क्योंकि सच्चाई उसी पल में बने रहना है। ’’

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