आयुर्वेदिक डॉक्टरों के लिए 'वंदे आयुकॉन 2025' में डिजिटल युग की शुरुआत - Punjab Kesari
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आयुर्वेदिक डॉक्टरों के लिए ‘वंदे आयुकॉन 2025’ में डिजिटल युग की शुरुआत

अहमदाबाद में आयुर्वेदिक डॉक्टरों का महासम्मेलन ‘वंदे आयुकॉन 2025’

गुजरात के अहमदाबाद में रविवार 16 मार्च को आयुर्वेदिक चिकित्सा प्रणाली पर सम्मेलन ‘वंदे आयुकॉन 2025’ के चौथे संस्करण का आयोजन होने जा रहा है, जिसमें राज्य के प्रसिद्ध आयुर्वेदिक चिकित्सकों को सम्मानित किया जाएगा।

गुजरात आयुर्वेदिक एवं यूनानी चिकित्सा प्रणाली बोर्ड की तरफ से आयोजित आयुकॉन में तमाम आयुर्वेदिक चिकित्सकों को ओपीडी सॉफ्टवेयर उपलब्ध कराया जाएगा। इसके अलावा, इस कार्यक्रम से जुड़ रहे आयुर्वेदिक चिकित्सकों का मार्गदर्शन भी किया जाएगा।

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ओपीडी सॉफ्टवेयर की मदद से चिकित्सक और भी प्रभावी ढंग से प्रैक्टिस कर सकेंगे। इस अवसर पर आयुर्वेद के क्षेत्र में डिजिटलाइजेशन को महत्व देने जैसे महत्वपूर्ण कदमों पर चर्चा की जाएगी, जो इस क्षेत्र में आधुनिकता और विकास की दिशा में अहम भूमिका निभा रहे हैं।

कार्यक्रम में राज्य के 27 हजार आयुर्वेदिक चिकित्सक परोक्ष रूप से जुड़ेंगे, जबकि 500 प्रमुख आयुर्वेदिक डॉक्टर इसमें मुख्य रूप से उपस्थित रहेंगे। कार्यक्रम में देश के प्रख्यात आयुर्वेदिक डॉक्टरों द्वारा लेक्चर सेशन भी आयोजित किया जाएगा, जो चिकित्सकों को प्रैक्टिस में नयापन और उन्नति के लिए प्रेरित करेगा।

बोर्ड के अनुसार, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के केंद्र में सत्ता संभालने के बाद से आयुर्वेद के क्षेत्र में कई क्रांतिकारी परिवर्तन हुए हैं। आयुर्वेद के प्रति लोगों का विश्वास बढ़ा है और इस क्षेत्र को पुनर्जीवित करने के लिए कई कदम उठाए गए हैं। विशेष रूप से, गुजरात के जामनगर को आयुर्वेद के मुख्य केंद्र के रूप में स्थापित किया गया है और आयुर्वेदिक दवाओं के निर्माण में भी उल्लेखनीय प्रगति हुई है।

बोर्ड के अध्यक्ष संजय जीवराजानी ने कहा कि 2014 से 2025 के बीच गुजरात में आयुर्वेद के क्षेत्र में कई बदलाव आए हैं। हमारी कोशिश आयुर्वेद को समाज से जोड़ने की है। पहले राज्य में केवल नौ आयुर्वेदिक कॉलेज हुआ करते थे, जबकि अब 42 आयुर्वेदिक कॉलेज हैं, जहां से अच्छे-अच्छे आयुर्वेद के चिकित्सक बाहर आते हैं। अच्छी बात है कि वे अपने नए विचार के साथ आते हैं।

उन्होंने कहा कि साल 2014 में गुजरात में जहां केवल 300 आयुर्वेदिक डॉक्टर तैयार होते थे, वहीं अब हर साल लगभग तीन हजार आयुर्वेदिक डॉक्टर प्रशिक्षित हो रहे हैं। समाज का नजरिया आयुर्वेद को लेकर बदला है और लोग अब इसमें दिलचस्पी दिखा रहे हैं। आयुर्वेद की पहचान अब वैश्विक स्तर पर पहुंच गई है। यह कार्यक्रम आयुर्वेदिक चिकित्सा के क्षेत्र में डिजिटल युग की ओर बढ़ते कदमों को प्रदर्शित करने के साथ-साथ आयुर्वेदिक डॉक्टरों के लिए एक मंच भी बनेगा, जहां वे अपने अनुभवों और ज्ञान का आदान-प्रदान कर सकते हैं।

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