'राणा सांगा भारत के सबसे वीर शासक हैं', सपा सांसद के विवादित बयान पर भड़के Ravindra Bhati - Punjab Kesari
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‘राणा सांगा भारत के सबसे वीर शासक हैं’, सपा सांसद के विवादित बयान पर भड़के Ravindra Bhati

राणा सांगा पर सपा सांसद के बयान से भड़के रविंद्र भाटी

राजपूत योद्धा महाराणा सांगा पर सपा सांसद रामजी लाल सुमन की विवादित टिप्पणी से राजस्थान में सियासी घमासान मच गया है। निर्दलीय विधायक रविंद्र सिंह भाटी ने सुमन पर निशाना साधा और सरकार से उनके खिलाफ कार्रवाई की मांग की।

राजपूत योद्धा महाराणा सांगा पर समाजवादी पार्टी के सांसद रामजी लाल सुमन की विवादित टिप्पणी के बाद राजस्थान में सियासी घमासान मच गया है। सपा सांसद की इस टिप्पणी का सभी राजनीतिक दलों के नेताओं ने कड़ा विरोध किया है। इस बीच राजस्थान के शिव से निर्दलीय विधायक रविंद्र सिंह भाटी ने भी रामजी लाल सुमन पर निशाना साधा और सरकार से उनके खिलाफ कार्रवाई की मांग की।

न्यायप्रिय और उदार शासक थे राणा सांगा

रविंद्र सिंह भाटी ने अपने एक्स पर पोस्ट कर कहा, “प्रातः स्मरणीय, वीर शिरोमणि महाराणा सांगा न केवल एक महान योद्धा थे, बल्कि साहस, स्वाभिमान और अदम्य वीरता के प्रतीक थे। एक हाथ, एक आंख और एक पैर गंवाने के बाद भी वे युद्ध के मैदान में डटे रहे। युद्ध के दौरान उनके शरीर पर 80 से अधिक घावों के निशान थे, इसीलिए उन्हें ‘सैनिकों का खंडहर’ कहा जाता था।” उन्होंने कहा, “महाराणा सांगा का चरित्र केवल वीरता तक ही सीमित नहीं था, वे एक न्यायप्रिय और उदार शासक भी थे। इसका उदाहरण तब देखने को मिला जब उन्होंने सुल्तान मोहम्मद शाह मांडू को युद्ध में हराकर बंदी बना लिया, लेकिन अपना बड़ा दिल दिखाते हुए उन्हें उनका राज्य वापस लौटा दिया। इससे उनकी नीति, नैतिकता और नेतृत्व क्षमता का पता चलता है।

‘महाराणा सांगा ने कई निर्णायक युद्ध लड़े’

रविंद्र भाटी ने कहा, “उन्होंने बाहरी आक्रमणकारियों के खिलाफ कड़ा प्रतिरोध किया और अपने सैन्य कौशल से कई निर्णायक युद्ध लड़े। बाबर जैसे आक्रमणकारी को चुनौती देने का साहस केवल महाराणा सांगा में ही था। बाबर ने भी अपनी आत्मकथा में स्वीकार किया है कि राणा सांगा भारत के सबसे बहादुर शासक हैं और उन्होंने अपनी बहादुरी और तलवार के बल पर यह गौरव हासिल किया है।”

उन्होंने कहा, “महाराणा सांगा की नेतृत्व क्षमता और वीरता ने उन्हें एक महान योद्धा के रूप में अमर कर दिया। खानवा के युद्ध में गंभीर रूप से घायल होने के बावजूद उन्होंने अपनी वीरता से आक्रमणकारियों की बढ़ती ताकत को चुनौती दी। उनका उद्देश्य न केवल अपनी भूमि की रक्षा करना था, बल्कि बाहरी आक्रमणकारियों को रोककर आत्म-सम्मान और स्वतंत्रता बनाए रखना भी था।”

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